उदयपुर। लंबे समय बाद अपमान का घूंट पी रही राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आखिर संदेश दे डाला। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए हुए कहा- वफा का वो दौर अलग था, आज लोग उसी की अंगुली काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़कर वो चलना सीखते हैं।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे उदयपुर में स्व. श्री सुंदर सिंह भंडारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित विशिष्ट जन सम्मान समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहीं थीं। राजस्थान में विधानसभा चुनावों के बाद वसुंधरा राजे संघ से जुड़े किसी बड़े कार्यक्रम में पहली बार शामिल हुई थीं। पिछले दस सालों से आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में वसुंधरा राजे के आगमन से सियासी हलचल पैदा हो गई।
राजे ने वफा के दौर का जिक्र करते हुए कहा-भंडारी जी ने राजस्थान में भैरों सिंह जी सहित कितने ही नेताओं को आगे बढ़ाया, पर वफा का दौर था, तब लोग किसी के किए हुए को मानते थे। लेकिन, आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं।
भंडारी जी झूठ नहीं बोलते थे। आपातकाल में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने उनसे नाम पूछा। उन्होंने सच बता दिया और गिरफ्तार हो गए। उन्होंने अपनी मां विजया राजे सिंधिया काे याद करते हुए कहा- उनकी माता ने एमपी में 1967 में देश में पहली बार जनसंघ की सरकार बनाई और गोविंद नारायण सिंह को सीएम बनाया। तब भंडारी जी ने पत्र लिख कर खुशी जताई थी। मां ने बचपन से ही हमें संघ के संस्कार दिए। हमारे घर में तो कई बार संघ की शाखा लगती थी। अटल जी, आडवाणी जी, राजमाता साहब, भैरों सिंह जी, सुंदर सिंह जी भंडारी, रज्जू भैया, केएस सुदर्शन जी, दत्तोपंत ठेंगड़ी जी और कुशाभाऊ ठाकरे जी जैसे देशभक्तों का मार्गदर्शन हमें मिला।
राजे के वफा और झूठ के मायने
दरअसल वसुंधरा राजे ने अपने संबोधन में दो अहम शब्दों का इस्तेमाल किया। पहला वफा और दूसरा झूठ। दोनों ही शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुभ सकते हैं। क्योंकि उनको आगे बढ़ाने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। तो क्या पीएम मोदी ने उनके प्रति अपनी वफादारी का कोई सबूत पेश किया। दूसरा झूठ। हालही हुए लोकसभा चुनावों में विपक्ष और गैर गोदी मीडिया के पत्रकारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोले गए झूठे बयानों को सोशल मीडिया पर जमकर उठाया था। बहरहाल वसुंधरा राजे के संबोधन को इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए।
कटारिया ने संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता को दिया धक्का
कार्यक्रम में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद रहे। इस दौरान कटारिया की मंच पर एक संघ कार्यकर्ता से बहस भी हो गई और उन्होंने बुजुर्ग को मंच से धकेल दिया। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग कार्यकर्ता पूर्व मुख्यमंत्री का सम्मान करना चाहता था, लेकिन कटारिया ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने कार्यकर्ता को जबरन मंच से उतार दिया है।
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