जयपुर। राजस्थान में लंबे समय से विवादों में रही है। पेपर लीक और धांधली के आरोपों के बीच आखिरकार हाईकोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। यह फैसला एक ओर हजारों उम्मीदवारों के भविष्य को अनिश्चितता में डालता है, वहीं दूसरी ओर आने वाले समय के लिए भर्ती प्रणाली की शुचिता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
सबसे पहले इस विवाद की जड़ पर नज़र डालें। अगस्त 2023 में कुछ उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि परीक्षा में संगठित तरीके से पेपर लीक हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि इस गड़बड़ी ने मेहनती और ईमानदार अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया। राज्य सरकार ने अपनी तरफ से माना कि 68 उम्मीदवारों की मिलीभगत सामने आई है, लेकिन उसने यह भी कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और पूरी भर्ती को रद्द करना उचित नहीं है।
यहां दो तरह के तर्क टकराते हैं। एक तरफ सरकार का दावा था कि गड़बड़ी सीमित दायरे में थी और पूरे सिस्टम को दोषी ठहराना गलत है। दूसरी ओर चयनित अभ्यर्थियों का कहना था कि उन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी और उनकी मेहनत को व्यर्थ घोषित करना अन्याय है। इनमें कई ऐसे उम्मीदवार भी थे जिन्होंने इस भर्ती के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ी थी।
न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने इन सभी दलीलों पर विचार करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया की शुचिता सर्वोपरि है। यदि चयन प्रक्रिया पर संदेह की गुंजाइश है, तो उसे जारी रखना न्यायसंगत नहीं होगा। कोर्ट ने इस दृष्टिकोण से पूरी भर्ती को रद्द करना ही उचित समझा।
यह फैसला उम्मीदवारों पर गहरा असर डालता है। हजारों युवाओं ने इस परीक्षा के लिए सालों तक तैयारी की थी। अब उनकी मेहनत अधर में लटक गई है। लेकिन अदालत ने यह राहत दी है कि 2021 की परीक्षा में शामिल रहे वे उम्मीदवार, जो अब आयु सीमा से बाहर हो चुके हैं, वे भी 2025 की भर्ती में आवेदन कर सकेंगे। साथ ही 2021 के 897 पदों को नई भर्ती में जोड़ दिया गया है, जिससे अब कुल 1912 पदों पर भर्ती होगी।
फैसले के सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब बार-बार पेपर लीक होता है, तो जनता सरकारी भर्तियों पर भरोसा कैसे करे? यह निर्णय सरकार के लिए एक कड़ा संदेश है कि उसे भर्ती परीक्षाओं की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी। अन्यथा युवाओं में असंतोष और अविश्वास और गहरा होगा।
आगे का रास्ता भर्ती प्रणाली को मजबूत बनाने का है। प्रश्नपत्रों की डिजिटल सुरक्षा, एन्क्रिप्शन और सुरक्षित सर्वर सिस्टम की व्यवस्था करनी होगी। दोषियों पर समयबद्ध कार्रवाई जरूरी है ताकि मामला वर्षों तक अदालतों में लटका न रहे। बायोमेट्रिक उपस्थिति, ऑनलाइन निगरानी और टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग भी अब समय की मांग है।
राजस्थान हाईकोर्ट का यह फैसला केवल एक भर्ती को रद्द करने का नहीं, बल्कि भविष्य की परीक्षाओं के लिए चेतावनी भी है। यह संकेत है कि योग्यता और ईमानदारी से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। हालांकि इससे हजारों युवाओं की व्यक्तिगत हानि हुई है, पर लंबी अवधि में यह न्यायिक कदम सिस्टम को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने का आधार बन सकता है।
यह फैसला कठोर जरूर है, लेकिन आवश्यक भी। युवाओं के सपनों पर चोट लगी है, पर यदि इससे आने वाली पीढ़ियों को एक निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त भर्ती प्रणाली मिलती है, तो यह दर्द भविष्य के विश्वास में बदल सकता है।
About Author
You may also like
-
नारायण सेवा संस्थान में गणपति स्थापना, दिव्यांगजनों संग हुई भक्ति-आराधना
-
धौलपुर : फर्जी IPS अधिकारी गिरफ्तार, गाड़ी से मिली पिस्टल-रिवॉल्वर और फर्जी आईडी
-
धर्म से ऊपर इंसानियत : जब पिता के शव के साथ भटकते बच्चों की मदद को आगे आए स्थानीय मुस्लिम युवा
-
गूगल मैप ने पहुंचाया बंद पुलिया पर, नदी में गिरी वैन : 3 की मौत, 1 लापता
-
सितम्बर से दिसम्बर तक छुट्टियों की लिस्ट, देखें कब-कब रहेगा अवकाश