स्मार्ट मीटर योजना पर विरोध : उदयपुर में बिजली विभाग निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन

उदयपुर। राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को लेकर शनिवार को उदयपुर में वामपंथी संगठनों और जनसंगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया। पटेल सर्कल स्थित अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एवीवीएनएल) कार्यालय पर आयोजित इस प्रदर्शन में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने के बहाने बिजली विभाग को निजी कंपनियों, विशेषकर अडानी समूह, को सौंपने की तैयारी की जा रही है।

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक संपत्तियों को निजी हाथों में सौंप रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की संपदा अपने उद्योगपति मित्रों अडानी और अंबानी को बेच रहे हैं और जनता को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है।

माकपा जिला सचिव व पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है। उनके अनुसार बिजली अधिनियम 2003 में स्पष्ट है कि उपभोक्ता की सहमति से ही मीटर बदला जा सकता है, जबकि इस समय जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं से स्मार्ट मीटर के नाम पर हजारों रुपये वसूलने की तैयारी की जा रही है।

सभा की अध्यक्षता कर रहीं लेखिका डॉ. कुसुम मेघवाल ने कहा कि सरकार जनता को यह कहकर गुमराह कर रही है कि स्मार्ट मीटर केवल विशेष परिस्थितियों में लगाए जाएंगे, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि जब तक इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा।

माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्योगपतियों के हित में काम कर रहे हैं और जैसे ही अडानी-अंबानी को नुकसान होता है, सरकार तुरंत उनके पक्ष में नीतियाँ बनाती है।

एक्ट के सचिव सौरभ नरुका ने कहा कि भाजपा ही नहीं बल्कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार भी इस प्रक्रिया में शामिल रही है। उनके अनुसार गहलोत सरकार ने अडानी समूह की जीनस कंपनी को स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका दिया था।

माकपा पार्षद राजेंद्र वसीटा ने कहा कि परंपरागत मीटर बदलने पर उपभोक्ताओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन स्मार्ट मीटर के नाम पर 8 से 10 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं।

सभा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटर का बोझ गरीब, मजदूर और किसानों पर सबसे अधिक पड़ेगा और यह योजना सीधे तौर पर बिजली क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में कदम है।

इस अवसर पर विभिन्न संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों—डॉ. फरहत बानो, अमजद शेख, अनिल पनोर, शमशेर खान, जावेद खान, गोपाल जायसवाल, दामोदर कुमावत, रघुनाथ सिंह, रईसा बानो, तस्लीम बानो, याकूब मोहम्मद, मोहम्मद निजाम, शाहिद मोहम्मद और कैलाश भोई—ने भी विचार रखे।

सभा के अंत में डॉ. कुसुम मेघवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एवीवीएनएल के मुख्य अभियंता को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्मार्ट मीटर लगाने का निर्णय तत्काल निरस्त करने, पहले से लगाए गए स्मार्ट मीटर हटाने, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने और गरीब उपभोक्ताओं के बिलों में आ रही अनियमितताओं का समयबद्ध समाधान करने की मांग की गई।

प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन को और व्यापक बनाने तथा उदयपुर की आम जनता को इसमें शामिल करने के लिए अभियान चलाने का भी निर्णय लिया।

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