
जयपुर। जयपुर के मनोहरपुर इलाके में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने एक बार फिर स्लीपर बसों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। सुबह करीब सात बजे मजदूरों से भरी एक बस सड़क किनारे झूल रही हाईटेंशन बिजली लाइन से टकरा गई। टकराते ही बस में करंट उतर गया और कुछ ही पलों में पूरी बस आग की लपटों में घिर गई। यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई, लोग खिड़कियों से कूदने लगे लेकिन आग इतनी तेज थी कि कई मजदूर अंदर ही फंस गए। इस दौरान बस में रखे सिलेंडरों में भी विस्फोट हो गया जिससे आग और भी भड़क उठी।
ग्रामीणों ने बताया कि बस में पांच से अधिक सिलेंडर रखे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों भागीरथ मल यादव और बाबूलाल यादव ने कहा कि पहले टायरों से धुआं उठना शुरू हुआ, फिर आग धीरे-धीरे बढ़ी और तीन जोरदार धमाके हुए। धमाकों की आवाज पूरे इलाके में सुनाई दी और देखते ही देखते बस जलकर खाक हो गई। स्थानीय लोग मौके पर दौड़े और किसी तरह बस में फंसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास करने लगे। कई ग्रामीणों ने नंगे हाथों से शीशे तोड़े और घायल मजदूरों को बाहर खींचा। लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, तब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी थी और दस से ज्यादा मजदूर गंभीर रूप से झुलस चुके थे।
जयपुर कलेक्टर जितेंद्र सोनी ने बताया कि बस में कुल 65 मजदूर सवार थे, जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के रहने वाले हैं। वे टोडी इलाके के एक ईंट भट्टे में मजदूरी के लिए आ रहे थे। हादसा भट्टे से करीब तीन सौ मीटर पहले हुआ। मृतकों में नसीम (50), सहीनम (20) और एक अन्य अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं। पांच गंभीर रूप से झुलसे मजदूरों को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में रेफर किया गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को इस क्षेत्र से गुजर रही हाईटेंशन बिजली लाइनों को हटाने की चेतावनी दी थी। टोडी गांव के लोगों ने बताया कि यह लाइन काफी नीचे झुकी हुई है और इससे पहले भी छोटे-मोटे हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया। हादसे के बाद मनोहरपुर, कोटपूतली और शाहपुरा से फायर ब्रिगेड की छह गाड़ियां बुलाई गईं। आग पर काबू पाने में करीब एक घंटा लगा। कई ग्रामीणों को लोगों को बचाने के दौरान मामूली झुलसने की चोटें आईं।
जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में घायलों का इलाज जारी है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि बर्न यूनिट और ट्रॉमा टीम को अलर्ट पर रखा गया है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रमोद शर्मा ने कहा कि कई मरीजों के शरीर का पचास प्रतिशत से अधिक हिस्सा झुलसा है और कुछ को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
यह हादसा पिछले पंद्रह दिनों में देश में बस में आग लगने की पांचवीं बड़ी घटना है। इससे पहले 14 अक्टूबर को जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर चलती स्लीपर बस में आग लगने से 27 यात्रियों की मौत हुई थी। 24 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में बाइक से टकराने के बाद बस में आग लगने से 20 लोगों की मौत हुई। 25 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के अशोकनगर में रात के समय एक बस में आग लगी लेकिन सभी यात्री सुरक्षित बच गए। 26 अक्टूबर को लखनऊ के आगरा एक्सप्रेस-वे पर चलती बस का टायर फटने से आग लगी, जिसमें 70 यात्री बाल-बाल बचे। और अब 28 अक्टूबर को जयपुर का यह हादसा।
हादसे के बाद टोडी गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। झुलसे मजदूरों के परिवारों में मातम है और गांव के लोग अब भी सदमे में हैं। सड़क पर बस का जला हुआ ढांचा, पिघली सीटें और बिखरे जूते उस भयावह सुबह की गवाही दे रहे हैं। मनोहरपुर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और बस मालिक तथा चालक से पूछताछ की जा रही है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर समय रहते हाईटेंशन लाइन को ऊपर कराया गया होता या बस मालिकों पर सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करवाया गया होता तो यह त्रासदी टल सकती थी। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। तीन परिवारों के चिराग बुझ गए और कई मजदूर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं, लेकिन सवाल वही हैं — क्या हर बार किसी हादसे के बाद ही सिस्टम जागेगा या फिर अगली बस के जलने का इंतजार किया जाएगा।
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