जयपुर। राजस्थान की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी ऐसे समय पर हुई है जब राज्य की सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकल चुकी है और राजस्थान में बीजेपी की सरकार है।
वर्ष 2021 में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया था, जब जयपुर के सिंधी कैंप इलाके में एक होटल से जलदाय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों को 2.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। इसके बाद जाँच की परतें खुलती गईं और बहरोड़ व नीमराणा में तैनात दो अधिकारियों, सुपरवाइजर मलकीत सिंह, ठेकेदार पदमचंद जैन और प्रवीण कुमार को भी गिरफ्तार किया गया। इन गिरफ्तारियों के बाद खुलासा हुआ कि यह घोटाला हजारों करोड़ रुपये तक फैला हुआ है।
ईडी ने महेश जोशी को कई बार पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था, लेकिन वह हर बार बीमारी या अन्य व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर पेशी से बचते रहे। आखिरकार, गुरुवार दोपहर को जोशी ईडी कार्यालय पहुंचे और लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिए गए।
सूत्रों के अनुसार, ईडी के पास ऐसे दस्तावेज और गवाह मौजूद हैं जो साबित करते हैं कि मंत्री रहते हुए महेश जोशी ने ठेकेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया, टेंडरों में हेरफेर की और योजनाओं के नाम पर मोटी रकम घपलेबाजी में उड़ाई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विपक्ष का हमला
इस गिरफ्तारी ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। भाजपा नेताओं ने इसे “भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार” बताया है और दावा किया है कि जल जीवन मिशन जैसे संवेदनशील योजना में लूट की छूट कांग्रेस शासन में दी गई थी।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है।
कांग्रेस का कहना है कि कहा—“जब भी विपक्ष मजबूत होता है, तब सत्ताधारी दल एजेंसियों का दुरुपयोग करके हमें डराने की कोशिश करता है।”
यह पहला मौका नहीं है जब महेश जोशी किसी विवाद में घिरे हों। हाल ही में उनके बेटे पर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में एक रेप केस में अग्रिम जमानत मिली थी। इस केस ने भी जोशी परिवार की छवि पर सवाल उठाए थे।
जल जीवन मिशन क्या है?
जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य हर घर में नल से जल पहुंचाना है। राजस्थान में इस योजना के अंतर्गत हजारों गांवों को पानी की सुविधा देने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन ACB और ED की जांच से साफ हो गया कि इस योजना की आड़ में भारी वित्तीय अनियमितताएं की गईं।
गिरफ्तारी के मायने
महेश जोशी की गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि कांग्रेस शासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। इससे पहले भी राजस्थान में शिक्षा, खनन और परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं।
क्या महेश जोशी अकेले दोषी हैं? या यह एक बड़ा नेटवर्क है जिसमें अफसर, ठेकेदार और नेता सब शामिल हैं? ईडी की अगली कार्रवाई इस रहस्य को और उजागर कर सकती है।
महेश जोशी की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसियों की पकड़ अब सिर्फ छोटे खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रही। जल जीवन मिशन जैसे सामाजिक महत्व की योजना में लूटखसोट के आरोप ने पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता यह जरूर जानना चाहेगी कि—क्या जल संकट झेलते गांवों के हक का पैसा डकारने वालों को सज़ा मिलेगी? क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक खेल है या सच में न्याय की प्रक्रिया? आने वाले दिनों में इन सवालों का जवाब मिलेगा।
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