प्रकृति प्रेमियों ने निहारा पानरवा का नैसर्गिंक सौंदर्य

फुलवारी की नाल वन्यजीव अभ्यारण्य में कठावली झेर पर की ट्रेकिंग, -दुर्लभ वनस्पति और प्राचीन कंदराएं देख हुए रोमांचित

– वन विभाग की ओर से वन भ्रमण कार्यक्रम की शुरूआत

उदयपुर। वन विभाग की ओर से इको ट्यूरिज्म को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दक्षिणी राजस्थान के ख्याति प्राप्त प्राकृतिक पर्यटक स्थलों का वन भ्रमण कार्यक्रम रविवार से शुरू हुआ। पहले दिन प्रकृति प्रेमियों को कोटड़ा क्षेत्र में पानरवा स्थित फुलवारी की नाल वन्यजीव अभ्यारण्य का भ्रमण कराया गया। हरियाली से आच्छादित अरावली की पहाड़ियों और प्राकृतिक जलप्रतापों को देखकर प्रकृति प्रेमी रोमांचित हो उठे।

इको ट्यूरिज्म की शुरूआत रविवार सुबह वन विभाग कार्यालय के बाहर उप वन संरक्षक (वन्यजीव) अरूणकुमार डी एवं उप वन संरक्षक यादवेंद्रसिंह की उपस्थिति में हुई। उन्होंने वन भ्रमण के लिए जा रहे करीब दो दर्जन से अधिक पर्यटकों को शुभकामनाएं दी। एसीएफ दिनेश गोढवाल भी मौजूद रहे। इसके पश्चात दो वातानुकूलित वाहनों से दल पानरवा के लिए रवाना हुआ। मार्ग में नाल साण्डोल स्थित इको ट्यूरिज्म स्पॉट का भी लुत्फ लिया।

यहां लबालब भरे एनीकट की रपट पर चलती पानी चादर और हरी-भरी पहाड़ियों के बीच कल-कल कर बहती जलराशि देखकर आनंदित हो उठे। इसके पश्चात दल आमलेटा घाटी पर पहुंचा। वहां पहाड़ियों के बीच सर्पिली सड़क से गुजरते समय भी पर्यटकों का उत्साह चरम पर रहा। पानरवा पहुंचने के बाद दल ने पर्यावरणविद् शरद अग्रवाल, विनय दवे तथा फोरेस्ट गार्डस् के सान्निध्य में कठावली झेर पर ट्रेकिंग की। चहुंओर हरियाली से आच्छादित पहाड़ियां और उनके बीच बहते झरनों से प्रकृति प्रेमियों के मन गद्गद् हो उठे। टेªकिंग के दौरान पर्यावरणविद् अग्रवाल और दवे ने कई तरह की दुर्लभ वनस्पति तथा पक्षियों से रूबरू कराया।

पहाड़ी पर स्थित प्राचीन कंदराएं देखकर सभी अभिभूत हो उठे। महराबनुमा कंदराओं के संबंध में दवे ने बताया कि पहाड़ी में लाइन स्टोन (चुना) की अधिकता के बाहर पानी के साथ यह आकार ले लेती हैं। टेªेकिंग के पश्चात दल वन विभाग के विश्रान्ति गृह पहुंचा। वहां दुर्लभ ऑर्किड वनस्पति के उद्यान का अवलोकन किया। वहीं बाद में खाचण गांव के समीप वाकल नदी के आसपास की प्राकृतिक वाता

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