वर्ल्ड हैप्पीनेस डे पर सुविवि में विचारगोष्ठी, साहित्य, संगीत और दर्शन में खोजा आनंद का रहस्य

उदयपुर। विश्व आनंद दिवस (वर्ल्ड हैप्पीनेस डे) के अवसर पर सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में ‘साहित्य, संगीत, कला, दर्शन, मनोविज्ञान और आनंद’ विषय पर विचारगोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विद्वानों ने आनंद की परिभाषा, उसके स्रोत और जीवन में उसकी भूमिका पर विचार साझा किए।

संस्कृत साहित्य में आनंद की अवधारणा पर चर्चा करते हुए डॉ. मुरलीधर पालीवाल ने संस्कृत के सुभाषितों के माध्यम से विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की। कला विद्या विशेषज्ञ प्रो. हेमंत द्विवेदी ने कहा कि आनंद प्राप्ति के लिए जीवन में सकारात्मक सोच, सौंदर्यबोध और मानसिक प्रसन्नता आवश्यक हैं।

अंग्रेजी साहित्य में ट्रेजडी और आनंद के संबंध पर चर्चा करते हुए डॉ. मीनाक्षी जैन ने करुण रस के माध्यम से आनंद की अनुभूति को स्पष्ट किया। वहीं, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. सुधा चौधरी ने कहा कि परिवर्तनशील संसार में मनुष्य की आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप आनंद का निर्धारण होता है।

आनंद का कोई विलोम शब्द नहीं – इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन नंदवाना ने हिंदी कविता के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से आनंद और उसकी अनुभूति को समझाया। डॉ. ज्योतिबाबू जैन ने प्राकृत साहित्य के संदर्भ में कहा कि “दूसरों के प्रति सकारात्मक व्यवहार ही खुशी का आधार बनता है।”

राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश सालवी ने कहा कि लोक जीवन की आस्था और अपनी जड़ों से जुड़ाव स्थायी आनंद प्रदान करता है। संगीत विभागाध्यक्ष डॉ. पामिल मोदी ने गीत-संगीत और आनंद के आपसी संबंधों पर प्रकाश डालते हुए एक सुमधुर गीत की प्रस्तुति भी दी।

मनोविज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डॉ. वर्षा शर्मा ने आनंद को व्यक्तिगत अनुभूति बताया और कहा कि यह हमारी सोच और दृष्टिकोण से प्रकट होता है।

संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि साहित्य, संगीत, कला और दर्शन के माध्यम से आनंद की अभिव्यक्ति संभव है। उन्होंने कहा कि “सहयोग, सहानुभूति और सकारात्मकता से वास्तविक आनंद प्राप्त किया जा सकता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुख और दुख अस्थायी होते हैं, लेकिन आनंद एक शाश्वत अवस्था है, जो स्वार्थ त्याग और परोपकार से प्राप्त होती है।

इस अवसर पर सहायक आचार्य डॉ. गट्टूलाल पाटीदार ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व आनंद दिवस मनाने के उद्देश्य और मानकों पर प्रकाश डाला तथा धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम में भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. सीमा जालान, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. राजू सिंह, राजनीतिशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश अग्रवाल, डॉ. खुशपाल गर्ग, उर्दू विभाग के अतिथि संकाय सहित कई शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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