उदयपुर। वो काली रात। 16 मार्च, उदयपुर के कानोड़ इलाके में अंधेरा गहराते ही चार साये एक इलेक्ट्रिक शॉप की ओर बढ़ रहे थे। उनका इरादा साफ था—एक बड़ी चोरी, जो उनके ‘नए बिजनेस’ की नींव रखेगी।
गली में पसरा सन्नाटा अचानक टूटता है। लोहे की रॉड और औजारों की आवाज़ के साथ शटर उठता है। चंद मिनटों में भीतर घुसकर चारों बदमाश 50 किलो चांदी और कैश समेटकर गायब हो जाते हैं। अगली सुबह जब दुकान मालिक लक्ष्मी लाल मेहता दुकान पर पहुंचते हैं, तो वहां सिर्फ टूटा हुआ शटर और खाली तिजोरी थी।
हिस्ट्रीशीटर का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस वारदात का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि कुख्यात हिस्ट्रीशीटर कालूलाल भोई था। वह अब तक छोटी-मोटी चोरी और अपराध करता रहा था, लेकिन इस बार उसका इरादा बड़ा था—खुद का बिजनेस शुरू करने का। वह एक साल से इस दुकान पर नजर रखे हुए था। उसे पता था कि लक्ष्मी लाल यहां सोने-चांदी के गहने गिरवी रखता है। इसी जानकारी के दम पर उसने अपनी ‘परफेक्ट’ योजना बनाई।
CCTV ने खोला राज
जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ी, कानोड़ इलाके के सीसीटीवी कैमरों ने चारों आरोपियों की तस्वीरें कैद कर लीं। 20 मार्च को पुलिस ने कालूलाल भोई, लक्ष्मण मीणा और किशनलाल मीणा को धर दबोचा। लेकिन उनका एक साथी कालूराम मीणा अब भी फरार था।
गहनों की कब्रगाह
पुलिस पूछताछ में जो खुलासा हुआ, वह चौंकाने वाला था। वारदात के बाद चारों ने गहनों का बंटवारा किया। लेकिन गहने बेचना आसान नहीं था।
कालूलाल भोई ने अपने हिस्से के गहने 100 फीट गहरे कुएं में फेंक दिए। लक्ष्मण, किशन और कालूराम ने अपने हिस्से के गहने खेतों में गाड़ दिए।
जब पुलिस आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची, तो कुएं से गहने निकालने के लिए गोताखोरों को बुलाना पड़ा। घंटों की मशक्कत के बाद पानी के अंदर से चांदी के गहनों को बाहर निकाला गया। वहीं, खेतों की खुदाई कर बाकी के गहने बरामद किए गए।
अभी भी अधूरी कहानी : पुलिस ने 48 किलो चांदी बरामद कर ली है, लेकिन बाकी गहनों का क्या हुआ? और फरार आरोपी कालूराम मीणा अब कहां है?
इस वारदात ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून की नजरों से बच नहीं सकता। लेकिन सवाल अब भी बाकी है—क्या ये सिर्फ एक चोरी थी, या अपराध की दुनिया में एक नए खिलाड़ी के उदय की शुरुआत? जांच जारी है…
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