ये कैसा आयड़ नदी : सुधार सिवरेज होल में छेद कर नदी में बहा रहे है मल मूत्र

फर्शी पर जमने लगे हैं कीचड़ व काई

उदयपुर। झील प्रेमियों ने रविवार को पुलां से लेकर सुभाष नगर तक आयड़ नदी का निरीक्षण किया। नदी में सीवर का बहना निरंतर जारी है। दुखद स्थिति यह है कि नदी में बनाए सिवरेज मेनहोल में ही छेद कर सीवर को नदी में छोड़ा जा रहा है। यही नहीं, नदी में बिछाई पत्थर फर्शी में टूट फूट होना प्रारंभ हो गया है। कुछ जगह इन चौकों पर कीचड़ व काई जमने से बदबू व फिसलन की स्थितियां बन रही है।

निरीक्षण में सम्मिलित डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जब तक रिवर और सीवर का मिलन जारी रहेगा, नदी स्वच्छ व सुंदर नही बन सकती। नदी में बिछाई फर्शी भूजल रीचार्ज को बाधित करेगी। नदी को पक्की नहर बनाना नदी पुरोद्धार नहीं वरन नदी के प्रति कदाचार है।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि नदी में बने मेनहोलों के ढक्कन खुले पड़ें हैं। ढक्कन कवर पास पड़े है , लेकिन इन्हे लगाया नहीं गया है। इन खुले
मेनहोल मे यदि कोई बंदर, बिल्ली, पक्षी घिर गए तो पूरी लाइन चोक हो जायेगी।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि नदी को समतल कर देने व फर्शी लगा देने से से कई जगह लोग इसे वाहन पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। फर्शियों पर पशु मल मूत्र विसर्जन भी है।

झील प्रेमी कुशल रावल ने आशंका जताई कि नदी फर्शी के पत्थर के चौके और पट्टियां चोरी हो सकती है। पूरी संभावना है कि कुछ लोग इन्हें अपने आंगन में बिछाने व अन्य उपयोग के लिए उठा ले जाए।

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने सुभाष नगर क्षेत्र की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरी नदी का क्या हश्र होने वाला है।

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