भारतीय चुनाव आयोग ने जम्मू और कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनावों की तारीख़ों में बदलाव करने की घोषणा की है। पहले तय कार्यक्रम के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के तीसरे चरण का मतदान और हरियाणा में मतदान एक अक्टूबर को होना था, जबकि मतों की गिनती चार अक्टूबर को होनी थी।
हालांकि, आयोग ने हरियाणा में मतदान की तारीख़ को एक अक्टूबर से बदलकर पांच अक्टूबर कर दिया है। जम्मू और कश्मीर में तीसरे चरण का मतदान एक अक्टूबर को ही होगा, लेकिन हरियाणा में अब मतदान पांच अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा।दोनों ही राज्यों—जम्मू और कश्मीर तथा हरियाणा—में चुनाव के नतीजे अब आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के इस बदलाव से राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करने का समय मिलेगा, और मतदाताओं को भी अधिक तैयारी का अवसर प्राप्त होगा।
दोनों ही राज्यों—जम्मू और कश्मीर तथा हरियाणा—में चुनाव के नतीजे अब आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के इस बदलाव से राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करने का समय मिलेगा, और मतदाताओं को भी अधिक तैयारी का अवसर प्राप्त होगा।
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पेरिस पैरालंपिक में भारत की रूबिना फ्रांसिस ने 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता
पेरिस पैरालंपिक में भारतीय शूटर रूबिना फ्रांसिस ने देश का नाम रोशन करते हुए 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया। रूबिना की इस उपलब्धि ने न केवल भारतीय खेल जगत में खुशी की लहर दौड़ाई है, बल्कि उन खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी हैं जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।रूबिना की कहानी कठिन संघर्षों और अटूट संकल्प की है। उनके प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। पेरिस पैरालंपिक में उनका यह मेडल भारत के लिए एक और गौरव का क्षण है, जो देश के पैरालंपिक खिलाड़ियों के बढ़ते कद और उनकी अदम्य भावना को दर्शाता है।
रूबिना की कहानी कठिन संघर्षों और अटूट संकल्प की है। उनके प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। पेरिस पैरालंपिक में उनका यह मेडल भारत के लिए एक और गौरव का क्षण है, जो देश के पैरालंपिक खिलाड़ियों के बढ़ते कद और उनकी अदम्य भावना को दर्शाता है।
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए शंभू बॉर्डर पहुंचीं
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने एक बार फिर से अपने सामाजिक सरोकारों का परिचय दिया है। वे किसान आंदोलन के समर्थन में शंभू बॉर्डर पहुंची हैं, जहां उन्होंने किसानों के साथ मिलकर अपनी एकजुटता दिखाई। विनेश का यह कदम न केवल उनकी राजनीतिक जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे सिर्फ़ अखाड़े में ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई में भी अग्रणी हैं।
किसान आंदोलन पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहा है, और विनेश फोगाट जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व का समर्थन मिलने से आंदोलन को और बल मिला है। शंभू बॉर्डर पर पहुंचकर उन्होंने किसानों से बातचीत की और उनके संघर्ष को अपना समर्थन दिया। इस घटना ने एक बार फिर से खेल और राजनीति के बीच गहरे संबंध को उजागर किया है।
कंगना रनौत इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में बनी हुई हैं; अब उन्होंने अपनी फ़िल्म ‘इमरजेंसी’ के रिलीज़ होने पर बयान दिया
बॉलीवुड की विवादास्पद अभिनेत्री कंगना रनौत अपने बेबाक बयानों के लिए जानी जाती हैं, और इन दिनों वे एक बार फिर चर्चाओं में हैं। उनकी आगामी फ़िल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर उन्होंने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने उनकी फिल्म और उनके व्यक्तित्व के प्रति और भी जिज्ञासा बढ़ा दी है।
कंगना ने कहा कि ‘इमरजेंसी’ न केवल एक फिल्म है, बल्कि यह भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को सामने लाने की कोशिश है। इस फ़िल्म के माध्यम से वे उन घटनाओं का चित्रण करेंगी, जिन्हें आज तक पर्दे के पीछे रखा गया है। कंगना का यह बयान उन लोगों के लिए भी एक सख्त संदेश है, जो उनकी आलोचना करते हैं। हालांकि, उनका बयान विवादों से बच नहीं सका, और सोशल मीडिया पर इस पर जमकर प्रतिक्रिया हो रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार की नई डिजिटल नीति पर विपक्ष, विश्लेषकों और सोशल मीडिया इन्फ़्लूएंसरों की कड़ी प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक नई डिजिटल नीति लागू की है, जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्ष, कई विश्लेषक, और सोशल मीडिया इन्फ़्लूएंसर इस नीति पर सवाल उठा रहे हैं और इसे नागरिक स्वतंत्रता और प्राइवेसी के लिए खतरा बता रहे हैं।
इस नीति के तहत, सरकार ने कई नए प्रावधानों को शामिल किया है, जो सोशल मीडिया गतिविधियों, डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट के लिए सख्त नियंत्रण की बात करते हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस नीति के जरिये सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश कर रही है। वहीं, सोशल मीडिया इन्फ़्लूएंसर भी इसे सेंसरशिप की दिशा में एक कदम बता रहे हैं।
राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह नीति केवल डिजिटल प्लेटफार्मों पर गलत जानकारी और फर्जी खबरों को रोकने के लिए बनाई गई है। फिर भी, इस विषय पर विवाद गहराता जा रहा है और आने वाले समय में इस नीति पर और अधिक बहस होने की संभावना है।
जापान में तूफ़ान शानशान ने जापान में मचाई तबाही
जापान इन दिनों तूफ़ान शानशान की चपेट में है, जिसने देश के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है। इस शक्तिशाली तूफ़ान के कारण भारी बारिश और तेज़ हवाओं से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
तूफ़ान शानशान के चलते जापान की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर भी गहरा असर पड़ा है। बिजली आपूर्ति, परिवहन सेवाएं, और सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन तूफ़ान की गंभीरता को देखते हुए आने वाले दिनों में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ के लिए ब्रेक ख़त्म, राजनीतिक विवाद ने पकड़ी रफ़्तार
असम विधानसभा में शुक्रवार के रोज़ जुमे की नमाज़ के लिए दी जाने वाली तीन घंटे की छुट्टी को खत्म करने के सरकार के फैसले ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। पहले, जुमे की नमाज़ के लिए सुबह 11 बजे से 2 बजे तक सदन को स्थगित किया जाता था, लेकिन अब यह सुविधा वापस ले ली गई है।
इस फैसले के बाद राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कई विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह फैसला सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए लिया गया है। इसके बावजूद, इस मुद्दे पर असम की राजनीति में हलचल मची हुई है, और आने वाले दिनों में यह मामला और भी गंभीर हो सकता है।
महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने का मामला बना बड़ा राजनीतिक मुद्दा
महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना ने राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
इस घटना ने राज्य की राजनीति में नई जान फूंक दी है, खासकर जब छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का सवाल हो। एक तरफ़ जहां सरकार पर इस घटना के प्रति संवेदनशीलता की कमी का आरोप लगाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, विपक्ष इस घटना को सरकार की विफलता के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है, और इसके परिणामस्वरूप आने वाले चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
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