पवनपुत्र की महाआरती से गूंजा पिछोला किनारा, श्रद्धा-संस्कृति और सेवा का संगम बना गणगौर घाट

उदयपुर। सूर्यास्त की बेला… पिछोला की लहरों पर दीपों की झिलमिलाहट… और हवा में गूंजती श्रीराम जय राम की स्वर लहरियां। मौका था बजरंग सेना मेवाड़ द्वारा आयोजित “पवनपुत्र पिछोला महाआरती” का, जो श्री हनुमान जन्मोत्सव की सप्तदिवसीय श्रृंखला का भव्य पड़ाव बना।

गणगौर घाट सोमवार शाम आस्था का समंदर बना रहा, जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आरती में हिस्सा लेकर भक्ति और संस्कृति की मिसाल पेश की। हनुमान चालीसा के गूंजते पाठ, श्रीराम स्तुति और दीप प्रज्वलन के साथ घाट की हर शिला रामभक्त हनुमान के जयकारों से जीवंत हो उठी।

आस्था के अगुआ बने आयोजक :

इस आयोजन की अगुवाई कर रहे कमलेंद्र सिंह पंवार ने बताया कि कार्यक्रम बजरंग सेना के संरक्षक डॉ. प्रदीप कुमावत, महंत इंद्रदेव दास और महंत श्याम बाबा के सान्निध्य में आयोजित हुआ। संतजनों में गादीपति रविंद्र बापू और डॉ. हेमंत जोशी ने अपने आशीर्वचन में धर्म, सेवा और संस्कृति की ताकत को समाज की असली पूंजी बताया।

गणमान्यजनों की मौजूदगी बनी आयोजन की गरिमा :
कार्यक्रम में शिव सिंह सोलंकी, दिनेश मकवाना, भूपेंद्र सिंह भाटी, सरदार रॉबिन सिंह, एडवोकेट निर्मल पंडित, करणवीर सिंह राठौड़, सुनील कालरा, पुखराज सिंह राजपुरोहित, मुकेश सिंह रावत, ऋषभ सिंह गहलोत, सुरेश चौहान, कंचन राजपूत, रानी भाटिया, सुमन जैन समेत शहर की धार्मिक-सामाजिक शख्सियतें उपस्थित रहीं।

भविष्य की झलक :
बजरंग सेना की श्रृंखला में अगला आयोजन 8 अप्रैल, शाम 6 बजे, श्री ओम बन्ना मंदिर बलीचा धाम मंडल की ओर से सुंदरकांड पाठ के रूप में होगा। प्रवक्ता गिरिराज सिंह सांखला ने सभी धर्मप्रेमियों से समय पर पहुंचने की अपील की है।


गणगौर घाट पर हुई यह महाआरती न सिर्फ श्रद्धा का आयोजन था, बल्कि यह संदेश भी था कि जब धर्म, सेवा और संस्कृति एक साथ खड़े होते हैं, तो समाज में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

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