महिला की साड़ी में ‘गैंगस्टर’: जब हार्डकोर दिलीप नाथ को पुलिस ने चकमा देकर दबोच लिया

उदयपुर। रात के अंधेरे में एक ब्लैक स्कॉर्पियो के ब्रेक चिर्र की आवाज़ और एक महिला के कपड़ों में भागता अपराधी। कुछ ही मिनटों में पर्दा उठ चुका था — यह कोई और नहीं, बल्कि उदयपुर का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर दिलीप नाथ था।

स्थान : केवड़ा की नाल, उदयपुर
समय : आधी रात
वेशभूषा : महिला का लहंगा-चोली, नकाब, हाथ में चूड़ियाँ
असली पहचान : दिलीप नाथ, हार्डकोर अपराधी और 10,000 रुपये का इनामी

द गॉडफादर ऑफ लैंड माफिया

उदयपुर और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में दिलीप नाथ का नाम एक खौफ था। कोई उसका नाम लेने से डरता था, तो कोई अपनी ज़मीन बचाने के लिए कोर्ट-कचहरी दौड़ता था। उसकी पहचान थी — “जमीन चाहिए? डर फैला, धमका और कब्जा कर ले!”

बड़े-बड़े भू-स्वामी, जिनकी ज़मीन करोड़ों की थी, दिलीप और उसकी गैंग से परेशान थे। यह गिरोह जमीन के असली मालिकों को धमकी देता, और हथियारों के दम पर जबरन एग्रीमेंट करवा लेता।

एक मामले में तो इसने एक पीड़ित से 35 लाख 50 हजार की रकम वसूल ली। और जब मामला खुला, तो पता चला — इसके पीछे सिर्फ एक आदमी नहीं, बल्कि एक पूरा संगठित नेटवर्क था।


जेल में बनाया ‘क्राइम इकोसिस्टम’

दिलीप नाथ कोई आम अपराधी नहीं था। वह जेल के अंदर रहकर भी बाहर की दुनिया को नियंत्रित करता था।
जेल में ही रहते हुए उसने राजू तेली की हत्या करवाई और फिर वहीं पर दो और साथियों — यशपाल सालवी और नरेश पालीवाल — को तैयार किया।
तीनों ने मिलकर एक मिनी-माफिया यूनिट बना दी, जो सिर्फ दिलीप के इशारों पर जमीन हथियाने की स्क्रिप्ट चलाता।


फरारी की फिल्मी स्क्रिप्ट

जब उदयपुर पुलिस की नज़र इस गिरोह पर गड़ी, तो दिलीप नाथ को भनक लग गई। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने बिहार से फर्जी पासपोर्ट बनवाया और विदेश भागने की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

06 मई 2025 को राजस्थान हाई कोर्ट से उसकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी गई। और बस, पुलिस ने पूरी तैयारी के साथ अपने दांव चलने शुरू कर दिए।


महिला बना ‘मास्टरमाइंड’ — आखिरी छलावा

8 मई की रात, एक गुप्त सूचना पर पुलिस ने केवड़ा की नाल के इलाके में नाकेबंदी की। तभी एक ब्लैक स्कॉर्पियो आती दिखी। ड्राइवर ने कार साइड में रोकी और खलासी साइड से एक महिला नीचे उतर कर उबड़-खाबड़ रास्तों में भागने लगी।

लेकिन पुलिस को शक हो चुका था।

पीछा हुआ — और वो ‘महिला’ गिर पड़ी। जब नकाब हटाया गया, तो सब हैरान रह गए — ये तो खुद दिलीप नाथ था।
महिला की पोशाक, चाल-ढाल, और चूड़ियाँ सब महज़ एक छलावा थीं।

वहीं उसके साथ एक और युवक पकड़ा गया — विष्णु पालीवाल, जो गिरोह का नया सदस्य था।


पुलिस की सटीक रणनीति

गिरफ्तारी में खास भूमिका निभाई:

  • दिलीप सिंह झाला, थानाधिकारी, गोवर्धनविलास
  • देवेंद्र सिंह, थानाधिकारी, टीडी थाना
  • सूर्यवीर सिंह राठौड़, वृत्ताधिकारी, गिर्वा

तीनों ने मिलकर न केवल पीछा किया, बल्कि इलाके में पहले से जाल बिछाकर गिरोह को दबोच लिया।


अब जांच के घेरे में पूरा नेटवर्क

गिरफ्तारी के बाद दिलीप ने कबूल किया कि उसने बिहार से फर्जी पासपोर्ट बनवा लिया था और वीजा का इंतजार कर रहा था


पूरे नेटवर्क की जड़ें राजस्थान से लेकर बिहार और दिल्ली तक फैली हो सकती हैं।

पुलिस ने अब इस केस को संगठित भूमि माफिया गिरोह के रूप में दर्ज किया है, और जल्द ही बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी की तैयारी भी की जा रही है।

“वो डराता था वेश बदलकर, हमने हिम्मत से बेनकाब किया”

योगेश गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक, उदयपुर

दिलीप नाथ की कहानी यह बताती है कि अपराधी कितनी भी चालाकी से भागे, लेकिन कानून की नजर और पुलिस की सूझबूझ से बच नहीं सकते।
यह केस एक मिसाल है — कि जब पुलिस रणनीति से काम करे, तो अपराध के सबसे गहरे गड्ढे से भी न्याय की रोशनी निकल सकती है।

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