उदयपुर। लोकसभा चुनावों को लेकर देश व प्रदेश में सरगर्मियां तेज होती जा रही है। अभी स्टार प्रचारकों की सभाएं नहीं हुई है, लेकिन नामांकन भरने, नेताओं की बयानबाजी और कुछ जर्नलिस्टों के वायरल वीडियो से माहौल बनने लगा है।
आजादी के बाद से सियासी सरगर्मियों के गवाह रहे हर शहर के चौराहों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन सियासी गपशप सोशल मीडिया पर खूब हो रही है। हां लेकिन डाइनिंग टेबल पर गरमा गरम भाेजन से उठने वाली भाप में सियासत की गर्मी भी उबाल खाने लगी है क्योंकि अब परिवार राजनीतिक विचार धाराओं में बंटकर आक्रोशित होने लगा है।
बहरहाल उदयपुर लोकसभा सीट पिछले तीन चुनावों के बाद इस बार चर्चा में है। इसकी खास वजह यह है कि यहां से दो सरकारी अफसरों के बीच मुकाबला है। इन दोनों नेताओं की लोगों के बीच पहचान नौकरशाही की है। सामाजिक, राजनीतिक और आमजन कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा को बतौर उदयपुर कलेक्टर और बीजेपी प्रत्याशी मन्नालाल रावत को बतौर आरटीओ अधिकारी के रूप में ही जानते रहे हैं।
अफसरशाही में रहते हुए दोनों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की कहानी एक जैसी ही है। बात बीजेपी के मन्नालाल रावत की करें तो वे नौकरशाही में रहते हुए खुलकर आरएसएस व बीजेपी का सपोर्ट करते रहे, जब उन्हें टिकट मिला तो लोगों को उनकी पुरानी बातें याद आने लगी।
इसी तरह कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा ने जब बतौर कलेक्टर मिशन कोटड़ा चलाया, तभी लोगों ने कयास लगा लिया था कि वे उदयपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। दो अफसरों के इस मुकाबले ने उदयपुर लोकसभा सीट को होट बना दिया है।
आंकलन : उदयपुर लोकसभा सीट का परिसिमन होने के बाद तीन चुनाव हुए, जिसमें एक बार कांग्रेस से रघुवीर मीणा और दो बार बीजेपी से अर्जुन मीणा सांसद चुने गए। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के रघुवीर मीणा दो लाख से अधिक वोटों से चुनाव हारे, दोनों बार मोदी लहर का असर रहा। दरअसल रघुवीर मीणा उदयपुर व राज्य की राजनीति में अब तक मोहरा साबित हुए, लेकिन वे राजनीतिक जमीन खोते चले गए।
लगातार चुनाव हारने की वजह से उनकी छवि खराब हुई और इस बार पार्टी को टिकट बदलना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा को इसलिए उनसे अधिक वोट मिलेंगे क्योंकि वे नए प्रत्याशी हैं और कलेक्टर रहे हैं। स्थानीय गुटबाजी से दूर हैं। अब बात बीजेपी प्रत्याशी मन्नालाल रावत की करते हैं। पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच उनकी छवि बहुत अच्छी टिकट मिलने के बाद से नहीं बन पाई है।
पिछले दस सालों से उदयपुर के सांसद अर्जुन मीणा मैदान से नदारद हैं। बतौर बीजेपी सांसद उनकी कोई उपलब्ध भी नहीं है, लेकिन चुनाव इस बार भी मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है। बीजेपी के प्रत्याशी भी लोगों के बीच राम, भजन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने अब तक उदयपुर के विकास का कोई रोडमैप लोगों के सामने नहीं रखा है। यही वजह है कि मन्नालाल रावत को सांसद अर्जुन मीणा के मुकाबले कम वोट मिलने वाले हैं।
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