उदयपुर। नगर निगम उदयपुर का दिमाक आखिर खुल गया। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि गलती हुई इसलिए अब चौराहे के एक हिस्से को दुरस्त करने का निर्णय किया गया है। इस चौराहे को दुरस्त करने के लिए यूं तो समय समय पर कई खबरें लिखी गई, लेकिन उदयपुर के पत्रकार भूपेंद्र चौबीसा ने अपने खुल्लम खुल्ला कॉलम में लगातार इस मुद्दे को जिंदा रखा। इसके लिए उन्हें कई बार अधिकारियों नेताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ी।
पत्रकार भूपेंद्र चौबीसा ने अपने कॉलम ‘खुल्लम खुल्ला’ में लगातार ट्रैफिक समस्या, यातायात जाम और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर ध्यान आकर्षित किया। उनके कॉलम में न केवल जनता बल्कि प्रशासन को भी इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मजबूर किया। चौबीसा ने इस समस्या को विभिन्न दृष्टिकोणों से प्रस्तुत किया और इसके समाधान के लिए ठोस सुझाव भी दिए।
पत्रकारिता की शक्ति
– समस्या को उजागर करना : चौबीसा ने अपने लेखों में सूरजपोल चौराहे की समस्याओं को बेबाकी से उजागर किया। उन्होंने बताया कि कैसे इस चौराहे पर ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं आम हो गई हैं।
– समाधान प्रस्तुत करना : यही नहीं उदयपुर के मीडियाकर्मियों ने न केवल समस्याओं को उठाया बल्कि उनके समाधान के लिए भी विस्तृत सुझाव दिए, जिससे प्रशासन को ठोस योजना बनाने में मदद मिली।
– जनता की आवाज : अखबारों में, यूट्यब चैनल्स ने जनता की आवाज को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। लोगों को जागरूक किया और उनके समर्थन को जुटाया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
पत्रकारों के सतत प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि नगर निगम और ट्रैफिक विभाग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। प्रशासन ने चौराहे को छोटा करने की योजना बनाई और इसे अमल में लाने के लिए कार्य शुरू किया।
भविष्य की राह
चौराहे को छोटा करने के निर्णय से यातायात की समस्याएं हल होने की उम्मीद है। उदयपुर के पत्रकारों का योगदान यह साबित करता है कि पत्रकारिता की शक्ति से सामाजिक और प्रशासनिक परिवर्तन संभव है। उनके प्रयासों से न केवल एक समस्या का समाधान हुआ बल्कि यह भी दिखा कि कैसे एक पत्रकार समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष
सूरजपोल चौराहे को छोटा करने का निर्णय उदयपुर के नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत है। इस परिवर्तन में भूपेंद्र चौबीसा का योगदान सराहनीय है। उनकी पत्रकारिता ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया और प्रशासन को कार्यवाही के लिए प्रेरित किया। यह प्रयास पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि पत्रकारिता के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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बार बार जो सूरज पोल चौराहे का तोड फोड़ कर के नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई भी चौराहे को बनाने वाले से वसूल करनी चाहिए।