उदयपुर। उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर इस बार ज्ञान और अनुभव के बीच मुकाबला होने वाला है। मतदाताओं को सोच समझकर ही फैसला करना होगा। पिछले बीस सालों में अब तक अनुभव और अनुभव और युवा और अनुभव के बीच मुकाबले में अनुभव ने ही बाजी मारी है। इस बार कुछ समीकरण बदले हैं। कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ ज्यादा पढ़े लिखे और प्रोफेशनल हैं जबकि भाजपा प्रत्याशी ताराचंद जैन को राजनीति का लंबा अनुभव है।
दरअसल राजनीति में जैसा होता आया है, वैसा ही हो रहा है। लोग दोनों प्रत्याशियों की अच्छाइयों को कमजोरी बनाकर पेश कर रहे हैं। अगर कोई प्रत्याशी ज्यादा पढ़ा लिखा है तो उसकी तारीफ होनी चाहिए, लेकिन लोग डिग्रियों पर सवाल उठा रहे हैं। कोई अनुभवी है तो उसके नहीं बोल पाने का मजाक बना रहे हैं। यह दोनों ही बात गलत है। शहर में दोनों ही राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के समर्थक हैं, लेकिन बहस व्यक्तिगत होने की बजाय मुद्दों पर होनी चाहिए। कौन प्रत्याशी किस मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जा रहा है?
आयड़ का एक अहम मुद्दा है, जिस पर नगर निगम ने लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए। आयड़ में उन्हें अब तक भी वेनिस दिखाई दे रहा है जो कि व्यवहारिक नहीं है। वेनिस छोड़िए आयड़ को साफ सुथरा रख लें वो ही हमारे के लिए वेनिस जैसा ही होगा। स्मार्ट सिटी के काम से लोग परेशान हैं। सड़कें और गंदगी के हाल आपके सामने हैं। गुलाबबाग भी सियासत और शहर का एक बड़ा मुद्दा है।
मेरी नजर में एमबी अस्पताल सबसे बड़ा मुद्दा है, जहां आने वाले मरीज और उनके परिजनों को किस तरह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह तो मेवाड़ राजघराने का हमें अब तक शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिन्होंने एमबी अस्पताल जैसी बिल्डिंग और क्षेत्र दिया। वरना पिछले 70 सालों में हम दूसरा एमबी अस्पताल नहीं बना सके। प्राइवेट अस्पतालों को बढ़ावा देने के चक्कर में सरकारी अस्पतालों की सुध नहीं ली जाती है। अब भी इन सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्सिंग की कमी है। सबसे ज्यादा कमी वार्डबाय की है, इतने बड़े अस्पताल के इमरजेंसी में तीन से ज्यादा वार्डबाय नहीं मिलेंगे। व्हील चेयर और स्ट्रेचर की कमी है। सबकुछ बीमा से नहीं होगा, कुछ स्थिति जमीन पर भी देखनी होगी।
झीलों के आसपास बनने वाली होटलों पर तो कई लोग सवाल उठाते आए हैं, इस वजह से झीलें बच पाई हैं, लेकिन अस्पतालों में सिस्टम को सुधार कर लोगों की जान बचाना भी बड़ा काम है। कुछ लोग हैं जो अस्पताल में निस्वार्थ काम कर रहे हैं।
About Author
You may also like
-
मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन : एक युग का अंत
-
रन टू सपोर्ट मेंटल हेल्थ 2.0 : मानसिक स्वास्थ्य के लिए दौड़ेगा उदयपुर
-
हरियाणा की सियासी पिच पर बीजेपी का सटीक स्विंग, कांग्रेस क्लीन बोल्ड
-
उदयपुर में डेंगू की मार : कचरे पर एक पार्षद की बेबसी और सिस्टम की नाकामी का आईना
-
वर्ल्ड हेबिटेट डे : हर नागरिक को मिले स्वच्छ पर्यावरण, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ सड़कें