उदयपुर। उदयपुर की दोपहर उस वक्त कुछ खास हो गई जब जिला कलेक्टर नमित मेहता बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल—महाराणा भूपाल चिकित्सालय (एमबी हॉस्पिटल) जा पहुंचे। चिलचिलाती गर्मी में आमजन और मरीजों की मुश्किलें समझने के लिए यह कदम प्रशासनिक सक्रियता का स्पष्ट संकेत था। यह सिर्फ एक औचक निरीक्षण नहीं था, बल्कि जनता के प्रति ज़िम्मेदारी का एक व्यावहारिक प्रदर्शन भी था।
विज़िट की प्राथमिकता : लू प्रबंधन, पेयजल और सफाई
गर्मी के मौसम में अस्पतालों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है – लू से बचाव, पर्याप्त पेयजल और शौचालयों की सफाई व्यवस्था। कलेक्टर नमित मेहता ने ठीक इन्हीं बिंदुओं पर ज़मीनी हकीकत जानने की कोशिश की।
उनका दौरा अस्पताल के मेडिसिन, अस्थि रोग, ओपीडी और आपातकालीन इकाई से होता हुआ सीधे शौचालय और वाटर कूलर पॉइंट्स तक पहुँचा। रिपोर्ट के अनुसार कई स्थानों पर पेयजल की सुविधा या तो अनुपलब्ध थी या खराब स्थिति में थी, जिस पर कलेक्टर ने मौके पर ही कैम्पर रखने और वाटर कूलर दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
‘सुनते नहीं, देखते हैं’—कलेक्टर की शैली
कलेक्टर मेहता ने मरीजों और उनके परिजनों से सीधा संवाद किया। उन्होंने सिर्फ अधीक्षक की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया बल्कि ‘स्वयं जाकर देखा और महसूस किया।’ यह शैली आज के प्रशासन में अपेक्षित तो है, लेकिन दुर्लभ होती जा रही है। यह सकारात्मक संकेत है कि कलेक्टर ने निरीक्षण के लिए एमबी अस्पताल जैसा महत्वपूर्ण स्थान चुना—जहां आमजन की हर धड़कन सुनाई देती है।
रेडियोलॉजी विभाग : आधुनिकता और प्रतीक्षा का टकराव
कलेक्टर ने रेडियोलॉजी और एमआरआई यूनिट का भी दौरा किया। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें बताया कि यह विभाग राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में सबसे अत्याधुनिक है। लेकिन दूसरी ओर, मरीजों की लंबी वेटिंग लिस्ट भी एक सच्चाई है। मेहता ने अतिरिक्त उपकरणों की जरूरत पर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए, जो एक अच्छा संकेत है—लेकिन कब तक? यही सवाल बना रहेगा जब तक प्रस्ताव मंज़ूरी और क्रियान्वयन की गति नहीं पकड़ते।
पेयजल और छायादार स्थानों की ज़रूरत
अस्पताल में प्याऊ, वाटर कूलर, लॉबी में एयरकूलर और छायादार प्रतीक्षा स्थल जैसी आधारभूत ज़रूरतों को इस गर्मी में प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए। कलेक्टर के निर्देश प्रशंसनीय हैं, लेकिन इन निर्देशों की निगरानी और फॉलोअप अधिक महत्वपूर्ण होंगे। वरना हर दौरे के बाद वही पुराना संवाद—“निर्देश जारी कर दिए गए हैं”—पुनरावृत्ति बन जाता है।
विश्लेषण : कलेक्टर की जागरूकता सराहनीय, परंतु अस्पताल सिस्टम में निरंतर निगरानी जरूरी
कलेक्टर नमित मेहता का यह औचक दौरा निःसंदेह प्रशासनिक सजगता का परिचायक है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जनस्वास्थ्य की प्राथमिक इकाइयों से उनका सीधा सरोकार है। लेकिन औचक निरीक्षण सिर्फ ‘तारीख दर्ज करने’ के लिए न हों, बल्कि वे बदलाव के वाहक बनें, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है।
एमबी अस्पताल उदयपुर ही नहीं, पूरे दक्षिण राजस्थान की रीढ़ है। इसलिए यहां सिर्फ चिकित्सकीय नहीं, बल्कि सामाजिक, मानवीय और प्रशासनिक संवेदनशीलता भी जरूरी है। गर्मी बढ़ रही है, मरीजों की संख्या भी। ऐसे में इस निरीक्षण को एक नई पहल की शुरुआत के रूप में देखा जाना चाहिए—लेकिन केवल यदि यह एकल कार्रवाई न होकर सतत प्रक्रिया बने।
सरकारी अस्पतालों में जब प्रशासन खुद चलकर आए तो बदलाव की उम्मीदें जन्म लेती हैं। लेकिन उम्मीदें तभी सार्थक होती हैं जब वे जमीनी हकीकत बन जाएं। कलेक्टर नमित मेहता ने पहल कर दी है, अब ज़िम्मेदारी सिस्टम की है कि वह इसे अवसर में बदले।
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