एमपीयूएटी की 21वीं अनुसंधान परिषद बैठक : जलवायु परिवर्तन, पेटेंट व आय सृजन पर हुआ मंथन

विशेषज्ञ बोले – अब समय है नवाचार, मूल्य संवर्धन और जलवायु समाधान पर ध्यान देने का
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) की 21वीं अनुसंधान परिषद की बैठक सोमवार को अनुसंधान निदेशालय में कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में कृषि अनुसंधान के भविष्य को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए।

कुलपति डॉ. कर्नाटक ने कहा कि विश्वविद्यालय ने हाल के वर्षों में मक्का, मूंगफली और अफीम की नई किस्मों का विकास कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि शोध कार्य समाज की ज़रूरतों और हितधारकों के लाभ को ध्यान में रखकर होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि नई तकनीक और पेटेंट्स से विश्वविद्यालय की आय बढ़ सकती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।

बैठक में विशेष आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. एस.के. शर्मा (सहायक महानिदेशक, भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली) ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को अपने क्षेत्रीय विशिष्ट कृषि उत्पादों के विकास और मूल्य संवर्धन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर फार्म पर प्रजनक बीज उत्पादन किया जाए ताकि राजस्व बढ़े। साथ ही जल उपयोग क्षमता, नवीकरणीय ऊर्जा और मक्का से एथेनॉल उत्पादन जैसे क्षेत्रों पर काम करने पर बल दिया।

पूर्व कुलपति डॉ. उमा शंकर शर्मा ने जलवायु परिवर्तन को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि अब समेकित कृषि प्रणाली को अनाज आधारित न रखकर उद्यानिकी और पशुपालन आधारित बनाना होगा। उन्होंने मशरूम की सालभर खेती, स्थानीय सब्जियों पर उत्कृष्टता केन्द्र और शस्य वानिकी पर अनुसंधान को समय की मांग बताया।
बैठक की शुरुआत अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द वर्मा ने स्वागत भाषण और पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों की अनुपालना रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए की। इस अवसर पर बीज नीति बुलेटिन का विमोचन भी किया गया।
बैठक में विश्वविद्यालय के निदेशक, महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों के निदेशक, परियोजना प्रभारी, विभागाध्यक्ष एवं कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के अधिकारी उपस्थित रहे।

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