विद्या भवन में ऑस्ट्रेलिया अवार्ड फेलोशिप संगोष्ठी में उठे सवाल, जल गुणवत्ता सुधार पर गहराया मंथन
उदयपुर। उदयपुर में वही जल शोधन तकनीक अपनाई जा रही है जो ऑस्ट्रेलिया में उपयोग होती है, फिर भी वहां का हर नागरिक बेझिझक सरकारी नलों का पानी पीता है, जबकि उदयपुर के लोग अक्सर बोतलबंद या फ़िल्टर किए हुए पानी का सहारा लेते हैं। यह चौंकाने वाला तथ्य शुक्रवार को विद्या भवन पॉलिटेक्निक सभागार में आयोजित ऑस्ट्रेलिया अवार्ड फेलोशिप संगोष्ठी के दौरान सामने आया।
संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने ऑस्ट्रेलिया के Catchment to Tap मॉडल को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया कि वहां जलाशयों से लेकर नागरिकों के घर तक—हर बिंदु पर जल गुणवत्ता की निरंतर निगरानी की जाती है। यही कारण है कि वहां मंत्री से लेकर आम आदमी और फाइव स्टार होटल तक, सभी सरकारी सप्लाई वाला पानी निःसंकोच पीते हैं।
जबकि उदयपुर में भी वही तकनीक, वही फिल्ट्रेशन प्रक्रिया अपनाई जा रही है, फिर भी पानी की गुणवत्ता में भारी अंतर बना हुआ है।
तकनीक नहीं, निगरानी में है अंतर
सीटीएई के जल विभागाध्यक्ष डॉ. मनजीत सिंह, पॉलिटेक्निक प्राचार्य डॉ. अनिल मेहता और डॉ. सुषमा जैन ने साझा किया कि ऑस्ट्रेलिया में जल गुणवत्ता की निगरानी महज जल शोधन संयंत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि केचमेंट (जलग्रहण क्षेत्र) से लेकर नलों तक हर चरण पर की जाती है।
उदयपुर में यही श्रृंखला टूट जाती है। झीलों से पानी लेने के बाद पाइपलाइन और वितरण प्रणाली में न तो पर्याप्त निगरानी होती है और न ही गुणवत्ता की गारंटी। यही वजह है कि कई बार नलों से गंदला, बदबूदार या संदूषित पानी आता है।
उदयपुर की झीलें, मगर केचमेंट की अनदेखी
उदयपुर शहर की प्रमुख पेयजल आपूर्ति फतेहसागर, पिचोला, रंगसागर जैसी झीलों से होती है, लेकिन इन झीलों के जलग्रहण क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण, गंदे नालों का पानी, प्लास्टिक कचरा और अतिक्रमण जैसी समस्याएं जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया में झील के केचमेंट में प्रवेश करने वाला हर कण नियंत्रित होता है। लेकिन उदयपुर की झीलों के चारों ओर प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण पानी शुद्ध करने की पूरी प्रक्रिया दबाव में आ जाती है।
सिर्फ फिल्टर से नहीं होगा काम, चाहिए समग्र रणनीति
विद्या भवन सोसायटी, महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय, डेवलपमेंट सपोर्ट सेंटर, और IFSD द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि केवल शोधन संयंत्र या तकनीक से समस्या का हल नहीं निकलेगा, जब तक पूरे जल शृंखला पर सतत निगरानी और अनुशासन न हो।
अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रज्ञा सक्सेना ने कहा, “जल स्वावलंबन सिर्फ इंजीनियरिंग का मसला नहीं, यह एक सामाजिक अनुशासन और नीति समन्वय का विषय है। जब तक हम कैचमेंट, पाइपलाइन, वितरण और नागरिक उपयोग—हर चरण पर उत्तरदायित्व तय नहीं करेंगे, तब तक फिल्टर तकनीक का लाभ नहीं मिलेगा।”
नगर निगम और जलदाय विभाग के प्रयास, लेकिन चुनौतियां बरकरार
नगर निगम के अतिरिक्त मुख्य अभियंता मुकेश पुजारी और अधिशाषी अभियंता अखिल गोयल ने बताया कि पेयजल स्रोतों में एयरेटर लगाकर जल की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास हो रहे हैं।
जलदाय विभाग के अधिशाषी अभियंता अखिलेश शर्मा ने कहा कि विभाग हर नागरिक तक शुद्ध जल पहुँचाने को प्रतिबद्ध है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइनों की उम्र, लीकेज, और घरों तक पहुंचने वाले पानी की टेस्टिंग अब भी एक बड़ी चुनौती है।
समाज का भी निभाना होगा किरदार
अर्पण सेवा संस्थान, महान सेव संस्थान, सृष्टि सेवा समिति, गायत्री सेवा संस्थान और रेनोवर्स फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि नागरिकों को जल संरक्षण, जल शुद्धता और अपने आसपास की जल संरचनाओं की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
इन संगठनों ने शहरवासियों से आग्रह किया कि वे नालों में कचरा फेंकने से बचें, झील किनारों को गंदा न करें, और वर्षा जल संग्रहण जैसे उपायों को अपनाएं।
“जल गुणवत्ता का मुद्दा अब केवल विज्ञान नहीं, जनभागीदारी का प्रश्न है”
संगोष्ठी में MARVI योजना, वर्षा जल संचयन, और ग्रामीण क्षेत्रों के जलस्रोतों की सुरक्षा पर भी चर्चा हुई। अंत में विद्या भवन के मानद सचिव गोपाल बंब ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह चर्चा अब कागज़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए—उदयपुर को यदि सच्चे अर्थों में जल स्वावलंबी बनाना है, तो नागरिक से लेकर संस्थाएं, और नीति-निर्माताओं से लेकर मीडिया तक सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
उदयपुर में पानी की शुद्धता का सवाल तकनीक का नहीं, व्यवस्था और निगरानी का है। जब तक झीलों के केचमेंट से लेकर अंतिम नल तक जल की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक लाखों की मशीनें और महंगे फिल्टर भी वह भरोसा नहीं जगा पाएंगे जो ऑस्ट्रेलिया के लोग अपनी जल व्यवस्था पर जताते हैं।
About Author
You may also like
-
आयड़ नदी पेटे में गलत पौधारोपण पर उठे सवाल, विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद पूर्व समिति सदस्य ने प्रशासन को लिखा पत्र
-
शायराना उदयपुर परिवार का मासिक स्नेह मिलन समारोह 27 जुलाई को, भक्ति रस रहेगा केंद्र में
-
सिटी फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत के कैमरे से फिर देखिए…हरियाली अमावस पर महिलाओं का मेला
-
उदयपुर से आई दिल को चीर देने वाली खबर : एक पिता टूटा… और एक पूरा परिवार हमेशा के लिए ख़ामोश हो गया
-
उदयपुर पैसेफिक डेंटल कॉलेज हॉस्टल में छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लगाए स्टाफ पर टॉर्चर और पैसे वसूली के आरोप, छात्रों का प्रदर्शन