उदयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने उदयपुर में एक अहम कार्रवाई को अंजाम देते हुए भ्रष्टाचार के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। एसीबी ने शांतिलाल सोनी नामक एक निजी व्यक्ति को ₹3.50 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। खास बात यह है कि यह रिश्वत सीधे तौर पर उदयपुर में पदस्थापित एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) के लिए ली जा रही थी, जिनकी भूमिका अब गंभीर सवालों के घेरे में है।
एसीबी मुख्यालय को एक शिकायत प्राप्त हुई थी कि शिकायतकर्ता से एक BMW कार की बिक्री से जुड़े प्रकरण में मदद करने, कोर्ट में चालान पेश कराने और पूरे मामले को निपटाने के एवज में ₹3 लाख की मांग की जा रही है। शिकायत की गहन जांच और सत्यापन के दौरान पाया गया कि रिश्वत की वास्तविक राशि ₹3.50 लाख तय हुई है।
ट्रैप कार्रवाई
इस शिकायत के बाद एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर जयपुर नगर तृतीय इकाई ने जाल बिछाया। कार्रवाई एसीबी उप महानिरीक्षक द्वितीय, आनंद शर्मा के पर्यवेक्षण में हुई। मौके पर पूरी टीम का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ज्ञान प्रकाश नवल और पुलिस उपाधीक्षक सुरेश कुमार स्वामी ने किया।
टीम ने योजनाबद्ध तरीके से शांतिलाल सोनी को रंगे हाथों पकड़ लिया, जब वह शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम स्वीकार कर रहा था। गिरफ्तार आरोपी शांतिलाल सोनी ने पूछताछ में स्वीकार किया कि यह रिश्वत वह हितेश मेहता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट क्राइम अगेंस्ट वुमन (SIUCAW), उदयपुर के लिए ले रहा था।
एसीबी के अनुसार, प्राथमिक जांच में एएसपी हितेश मेहता की भूमिका संदिग्ध पाई गई है और अब उनके खिलाफ अलग से विस्तृत जांच की जाएगी।
अतिरिक्त महानिदेशक स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है। “किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उसकी हैसियत कितनी भी ऊँची क्यों न हो,” उन्होंने कहा।
एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी से पूछताछ और एएसपी की भूमिका की जांच के बाद इस पूरे मामले का बड़ा नेटवर्क सामने आने की संभावना है।
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