सोशल मीडिया पर क्यों ट्रेंड कर रहा है #बुर्का_बैन_करो

नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस समय #बुर्का_बैन_करो हैशटैग धूम मचा रहा है। मुर्गा, मछली, और मंगलसूत्र के बाद, अब चुनावी रणभूमि में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए नया हथियार बनकर #बुर्का_बैन_करो सामने आया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा था कि उन्होंने कभी हिंदू-मुस्लिम नहीं किया और अगर ऐसा करेंगे, तो सार्वजनिक जीवन से हट जाएंगे। बावजूद इसके, इस हैशटैग को ट्रेंड कराने वालों में ज्यादातर वही लोग हैं, जो मोदी समर्थक माने जाते हैं।

बीजेपी और उनके समर्थकों ने हर चुनावी दौर से पहले हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को उछालने की परंपरा को बरकरार रखा है। पहले मंगलसूत्र की चोरी, फिर संपत्ति छीनकर मुस्लिमों को देने की बात, मुस्लिम आरक्षण, और अब 25 मई को होने वाले चुनाव से दो दिन पहले #बुर्का_बैन_करो का शोर मचाया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर इस हैशटैग के तहत लिखा जा रहा है कि बुर्का बैन होना चाहिए क्योंकि इससे फर्जी वोटिंग और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। नफरत फैलाने वाले पोस्ट्स में लव जिहाद और अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया जा रहा है।

हालांकि, यह सच है कि कुछ अपराधियों ने बुर्के का उपयोग करते हुए अपराध किया है, लेकिन यह भी सत्य है कि कई गैर-मुस्लिम अपराधियों ने भी बुर्के का सहारा लिया है। इसके बावजूद, निशाना विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को ही बनाया जा रहा है।

अब सोशल मीडिया पर देखें कुछ दिलचस्प पोस्ट्स:

“#बुर्का_बैन_करो क्योंकि जरूरी नहीं कि हर बुर्के के पीछे कोई मुस्लिम महिला ही हो, आजकल अब्दुल भी इसी भेष में घूम रहे हैं और अपराध को अंजाम दे रहे हैं।”

“चुनाव में बुर्के के सहारे फर्जी वोटिंग होती है! इसी चुनाव में कई ऐसी खबरें आई हैं! क्या बुर्का बैन नहीं होना चाहिए?”

“#बुर्का_बैन_करो क्योंकि इसे पहनकर कई लोग अपराध में लिप्त रहते हैं। एक महिला ने बुर्के में आकर सोने के आभूषण चुरा लिए और पकड़े जाने पर परिवार संग हंगामा कर दिया।”

चुनाव के दौरान उठने वाले ये मुद्दे एकतरफा नजर आते हैं, और विपक्षी पार्टियां समेत कई लोग धर्म के आधार पर राजनीति की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

 

 

 

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