उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा बागोर की हवेली में आदिवासी कला ‘वार्ली’ एवं ‘कोलाज’ कला प्रदर्शनी का उद्घाटन उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल द्वारा किया गया। उदयपुर को कला के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने के प्रयास की प्रशंसा की।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि वार्ली प्रदर्शनी में प्रदर्शित कलाकृतियां वारली समुदाय के 23 कलाकारों द्वारा जोनल संस्कृति महोत्सव पुणे में उकेरी गई। इन कलाकृतियों में वार्ली समाज के जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी घटनाएं प्रदर्शित है। जिसमें विवाह, दिवाली, होली, नृत्य, पेड़-पौधे, सृष्टि की उत्पत्ति, महादेव-गौरी की कहानी को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। वार्ली पेंटिंग लाल मिट्टी, गोबर और चावल के आटे से बनाई जाती हैं। यह प्रदर्शनी बागोर की हवेली में 31 दिसंबर तक प्रदर्शित की जा रही है।

साथ ही कोलाज कला प्रदर्शनी में शिल्पग्राम में हुए कोलाज कार्यशाला में विशेष विद्यार्थियों सहित करीब 40 प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई सुंदर कलाकृतियां 20 अक्टूबर तक प्रदर्शित की जा रही है। वार्ली कला की थीम पर शिल्पग्राम के दर्पण सभागार को सुसज्जित किया जा रहा है एवं शिल्पग्राम उत्सव में भी इसकी झलक दिखेगी।

इस अवसर पर इंटरनेशनल वार्ली कलाकार अनिल चैत्या वांगड़, शांताराम गोरखाणा, किशोर मेशे, अरूणा इरिम उपस्थित थे। इनके साथ उदयपुर के कलाकार एवं कलाप्रेमी अनुराग, मासूमा, मैडम फी, शर्मिला, शरद, भावना, वंदना, सिमरन, मोहित, यश, शबनम, नवलकिशोर, सुरेश आदि उपस्थित थे।
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