नीति आने से पहले कॉपी शराब कारोबारियों से शेयर की, सिसोदिया की गिरफ्तारी की 4 वजहें

The origin of the word “travel” is most likely lost to history. The term “travel” may originate from the Old French word travail. According to the Merriam Webster dictionary, the first known use of the word travel was in the 14th century. In English we still occasionally use the words travail and travails, which mean struggle. According to Simon Winchester in his book The Best Travelers’

0 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे। हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता है। वहीं होलसेल के लिए फिक्स प्राइस थी और बिलिंग अमाउंट पर वैट लगता था।

दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को शराब के लिए नई आबकारी नीति लागू होने तक 849 शराब की दुकानें थीं। इनमें से 60% दुकानें सरकारी और 40% निजी थीं।

दिल्ली सरकार ने नई नीति के तहत 2021 में सरकारी दुकानें बंद कर दीं

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।

सरकार ने लाइसेंस धारकों के लिए नियमों को भी आसान बनाया। इसके तहत उन्हें शराब पर डिस्काउंट देने और MRP पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट दी। वेंडर्स को डिस्काउंट देने का फायदा भी हुआ। इससे शराब की बिक्री में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। हालांकि विपक्ष के विरोध के बाद आबकारी विभाग ने कुछ समय के लिए छूट वापस ले ली।

दिल्ली सरकार नई शराब नीति लेकर क्यों आई?

दिल्ली के डिप्टी CM ने उस वक्त नई शराब नीति लाने के पीछे कुछ प्रमुख वजहें बताई थीं। पहली- शराब माफियाओं पर नियंत्रण और दूसरा सरकार का राजस्व बढ़ाना। इसके अलावा कालाबाजारी को खत्म करना और शराब की दुकानों का समान वितरण करना था।

डिप्टी CM सिसोदिया ने बताया था कि दिल्ली में 272 वॉर्ड हैं, उनमें से 79 वॉर्ड में एक भी शराब की दुकान नहीं है। 45 ऐसे हैं, जहां 1 से 2 दुकानें हैं। 158 वॉर्ड यानी करीब 58% ऐसी जगहें हैं, जहां दुकानें नहीं हैं या कम हैं। दिल्ली में करीब 850 दुकानें हैं, जिनमें से 50% दुकानें 45 वॉर्ड में हैं। नई नीति से अब हर वॉर्ड में दुकानें होंगी और शराब की कालाबाजारी रुकेगी।

शराब की होम डिलीवरी वाले प्रस्ताव में क्या गड़बड़ी थी?

2 मई 2022 को दिल्ली सरकार के मंत्रियों के एक समूह यानी GOM ने नई शराब नीति की संशोधित नीति की सिफारिश की। इसके तहत शराब की होम डिलीवरी, सुबह 3 बजे तक दुकानें खोलने और वेंडर्स को अनलिमिटेड डिस्काउंट देने की बात थी।

मंत्री समूह की सिफारिश के बाद इस नीति की जांच दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार द्वारा की जानी थी। आबकारी विभाग से जांच का प्रस्ताव मिलने के बाद चीफ सेक्रेटरी ने दिल्ली की नई शराब नीति 2021-22 में कई सारी खामियां और अनियमितताएं पाईं।

इसके बाद चीफ सेक्रेटरी ने आबकारी विभाग के मंत्री सिसोदिया को 8 जुलाई को एक रिपोर्ट भेजकर जवाब मांगा। उसी दिन दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी रिपोर्ट भेजी गई।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ सेक्रेटरी ने इसके बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW को नई शराब नीति में भ्रष्टाचार, गुटबंदी और शराब के कारोबार में एकाधिकार के आरोपों की जांच करने को कहा।

EOW ने बाद में इस महीने 15 दिनों में हुई आबकारी विभाग की बैठकों की डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग यानी DVR को जुटाया। इसमें पाया गया कि 11-12 जुलाई को हुई एक बैठक सुबह 5 बजे तक चली थी।

इसके बाद EOW ने दिल्ली आबकारी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर को नोटिस जारी कर नई शराब नीति के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को अवैध तरीके से शराब लाइसेंस देने की जानकारी मांगी।

EOW ने विभाग से शराब लाइसेंस पाने वाले सभी सफल आवेदकों के एप्लिकेशन फॉर्म के साथ अन्य डॉक्यूमेंट भी देने को कहा, जिन्हें उन्हें जमा करना था। इसके अतिरिक्त आबकारी विभाग से शराब व्यापार में एकाधिकार और गुटबंदी को रोकने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की आउटलाइन भी मांगी।

सिसोदिया पर शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ की टेंडर फीस माफ करने का आरोप

उपराज्यपाल और दिल्ली के सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। जैसे कि कोरोना महामारी के नाम पर 144.36 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस माफ करना। आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सिसोदिया ने विदेशी शराब की कीमतों में संशोधन करके और बीयर के प्रति केस पर 50 रुपए के आयात शुल्क को हटाकर शराब लाइसेंसधारियों को बेजा लाभ दिया। इससे विदेशी शराब और बीयर रिटेल यानी खुदरा मार्केट में सस्ती हो गई, जिससे राज्य के सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

अधिकारियों ने कहा कि यदि पहले से लागू की गई नीति में कोई बदलाव होता है तो पहले आबकारी विभाग को उसे कैबिनेट के सामने रखना होगा और अंतिम मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजना होता है। कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना किया गया कोई भी बदलाव अवैध होता है और ऐसा करना दिल्ली एक्साइज रूल्स- 2010 और ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स-1993 का उल्लंघन है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मनीष सिसोदिया ने शराब माफिया को फायदा पहुंचाने का काम किया है। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में शराब के प्रोडक्शन, होलसेलर और बिक्री से जुड़ा काम एक ही व्यक्ति को दिए जाने पर भी सवाल उठाया गया है।

इस रिपोर्ट के आने के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति 2021-22 में भ्रष्टाचार के आरोपों की CBI जांच की सिफारिश की। इसी के तहत CBI ने 19 जुलाई की सुबह डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के आवास समेत 21 जगहों पर CBI की छापेमारी की है। जांच एजेंसी सुबह 8.30 बजे ही सिसोदिया के घर पहुंच गई थी।

एक्साइज के डिप्टी कमिश्नर रहे आनंद तिवारी, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण, कुलजीत सिंह, सुभाष रंजन के घर पर भी CBI की टीम ने छापा मारा। शराब नीति घोटाले के आरोप को लेकर CBI ने FIR दर्ज की। सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया।

सिसोदिया के जेल जाने की 4 बड़ी वजहों को जानिए

1. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। सिसोदिया के बेहद करीबी अरोड़ा सरकारी गवाह बन गए। अरोड़ा ने ही सिसोदिया, विजय नायर और आप के कई बड़े नेताओं के नाम लिए।

2. CBI के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के डिप्टी CM को सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर कई फोन को नष्ट करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने दिसंबर 2022 में दिल्ली की कोर्ट में दावा किया था कि सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले और फिर इन्हें तोड़ दिया। इससे 1.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एक्साइज स्कैम में सबूतों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया।

ED ने कहा था कि इस मामले में प्रमुख सबूत मोबाइल फोन में थे और इस मामले में कम से कम 36 आरोपियों ने मई से अगस्त 2022 तक 170 मोबाइल का यूज किया और उन्हें बाद में तोड़ दिया। ED ने 17 फोन बरामद किए। हालांकि उसमें भी डेटा को डिलीट कर दिया गया था।

आबकारी विभाग में पहले काम कर चुके एक अधिकारी ने CBI को बताया है कि ड्राफ्ट में बदलाव करने के निर्देश सिसोदिया के मोबाइल नंबरों से वॉट्सऐप के माध्यम से आए थे। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि सिसोदिया ने अगस्त और सितंबर 2022 के बीच 18 मोबाइल हैंडसेट और चार सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था।

सीबीआई ने 19 अगस्त 2022 को सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। अधिकारियों का दावा है कि उसी दिन सिसोदिया ने एक सिम कार्ड के लिए तीन मोबाइल फोन बदले। सूत्रों ने कहा कि 20 अगस्त को तीन हैंडसेट में एक मोबाइल फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया था।

3. CBI की जांच टीम ने सिसोदिया से कई फोन से संदेशों के विवरण के बारे में जानना चाहा। उनसे पूछा गया कि आबकारी नीति जारी होने से पहले ही इसकी कॉपियां कारोबारियों तक कैसे पहुंच गईं? आरोप है कि इसे मोबाइल से शेयर किया गया।

पिछले साल 30 नवंबर को CBI ने तेलंगाना के CM केसीआर की बेटी कविता को भी आरोपी बनाया था और दिसंबर में पूछताछ की थी। हाल में कविता के CA बुच्ची बाबू गोरंटला को गिरफ्तार किया गया है।

4. सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक साजिश धारा 120B और सबूत नष्ट करने के लिए धारा 477A लगाई गई है। आरोप है कि रद्द की गई आबकारी नीति में शराब के थोक विक्रेताओं का लाभ मार्जिन 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया, जो ‘साउथ लॉबी’ के कहने पर किया गया। साउथ लॉबी के कुछ नेताओं और शराब कारोबारियों का समूह था। इसके जरिए आप को करोड़ों रुपए मिले।

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