ज़ेलेंस्की का कड़ा रुख : “शांति समझौता यूक्रेन की भागीदारी के बिना अस्वीकार्य”

 

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन की भागीदारी आवश्यक है, और इसे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शर्तों के अनुसार स्वीकार नहीं किया जाएगा।

अमेरिकी हस्तक्षेप पर प्रतिक्रिया
ज़ेलेंस्की की यह टिप्पणी तब आई है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की है और युद्ध समाप्त करने के लिए “तुरंत” बातचीत शुरू करने पर सहमति जताई है।

ज़ेलेंस्की ने बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “यह जरूरी है कि शांति वार्ता किसी एक पक्ष, विशेषकर पुतिन की योजना के अनुसार न हो। यूक्रेन की भूमिका इस प्रक्रिया में सबसे अहम है।”

नेटो पर अमेरिका का रवैया
ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा कि उन्होंने ट्रंप के साथ नेटो (NATO) पर चर्चा नहीं की। हालांकि, उन्होंने यह संकेत दिया कि अमेरिका नहीं चाहता कि यूक्रेन इस संगठन का सदस्य बने। यह बयान अमेरिका और पश्चिमी देशों के रुख को लेकर सवाल खड़े करता है, जो युद्ध के दौरान यूक्रेन को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।

युद्ध का संदर्भ
रूस-यूक्रेन युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। तब से यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, जिसमें अमेरिका और पश्चिमी देशों का रूस के साथ तनाव लगातार बढ़ता रहा है।

ज़ेलेंस्की का रुख क्यों अहम है?
ज़ेलेंस्की का यह रुख इस बात को रेखांकित करता है कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। उनका यह बयान रूस की तरफ से थोपी गई शांति वार्ता की संभावनाओं को खारिज करता है और यह सुनिश्चित करता है कि युद्धविराम का कोई भी समझौता यूक्रेन की सहमति के बिना लागू नहीं किया जा सकता।

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका, रूस, और अन्य पश्चिमी देशों के बीच इस मामले पर क्या सहमति बनती है। ज़ेलेंस्की ने यह संकेत दिया है कि यूक्रेन के बिना किसी भी वार्ता का कोई मतलब नहीं होगा, जिससे यह मुद्दा और भी पेचीदा हो गया है।

युद्ध समाप्त करने के लिए प्रयास जारी हैं, लेकिन ज़ेलेंस्की का बयान स्पष्ट करता है कि यह केवल यूक्रेन की संप्रभुता और उसकी शर्तों को मानकर ही संभव हो सकेगा।

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