यूपी। बदायूं के दातागंज कस्बे में हर दिन जैसी सुबह। धुंध जैसे पूरे शहर को अपनी आगोश में समेटे हुए थी। हर गली, हर नुक्कड़ पर हवाओं के साथ एक नई कहानी उड़ी चली जा रही थी, जो किसी को नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन उस कहानी का नाम था – “इश्क़ का फरार रूप”।
सुनील कुमार, एक ट्रक ड्राइवर, अपने काम में इतना व्यस्त था कि घर लौटते समय उसे यह भी नहीं पता था कि उसकी ज़िंदगी में क्या बदलने वाला है। सड़कों पर दिन-रात दौड़ता सुनील कभी यह नहीं सोचता था कि उसकी बीवी, उसकी दुनिया, उसकी घरेलू खुशियाँ किसी और के साथ भागने का रास्ता खोज रही हैं।
सर्दी की सुबह सुनील ने जब अपना ट्रक पार्क किया और घर की ओर कदम बढ़ाए, तो उसकी पत्नी को देखकर उसकी आँखों में कोई खास चमक नहीं थी। उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा कि उसके वापस लौटने से कुछ बदलने वाला था। वही रोज़ का काम – खाना बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना और फिर घर में अकेला होना।
लेकिन कुछ समय बाद, उस दिन के बाद, जो कुछ हुआ, उसने सुनील की पूरी दुनिया को हिला दिया।
समधी का आगमन और अनकही मुलाकातें
2022 में बेटी की शादी हुई। शादी के बाद सुनील की पत्नी को लगा कि अब उसकी ज़िंदगी में खुशियाँ और सुकून रहेगा, लेकिन वही सुकून एक दिन रहस्यमयी मोड़ पर पहुँचने वाला था। बेटी की शादी के दौरान शैलेंद्र उर्फ़ विल्लू, जो उसकी बेटी के ससुर थे, के साथ एक अजीब सी मुलाकात शुरू हुई।
शैलेंद्र, जो रोडवेज बस में सरकारी ड्राइवर था, पहले तो कभी ज्यादा ध्यान नहीं खींचता था, लेकिन अब वह हर समय पत्नी के पास रहने के बहाने ढूंढ़ता था। और फिर एक दिन, वह रिश्तों की पूरी दुनिया को बदलते हुए उनके घर में दाखिल हुआ। एक साथ चाय पीना, हंसी-मज़ाक करना, और फिर धीरे-धीरे, समधी और समधन के बीच कुछ ऐसा हुआ, जो रिश्तों के बीच नहीं होना चाहिए था – मोहब्बत का आगाज़।
जब सुनील काम पर था, तब पत्नी और शैलेंद्र के बीच की अनकही मुलाकातें हदें पार कर चुकी थीं। पत्नी को शैलेंद्र की आँखों में कुछ ऐसा दिखाई देता था, जो सुनील की आँखों में खो गया था। यह केवल एक आकर्षण नहीं था, बल्कि यह एक भावनात्मक कनेक्शन बन गया था। और उस कनेक्शन ने जब ज़ोर पकड़ लिया, तो समधन ने अपनी चुप्प को तोड़ा और समधी के साथ अपने भविष्य को तलाशने का निर्णय लिया।
फरार मोहब्बत
यह एक बेमेल और खतरनाक प्यार था। एक दिन, जब सुनील घर पर नहीं था, पत्नी ने शैलेंद्र को अपने घर बुलाया और दोनों ने मिलकर फरार होने का मन बना लिया। वे न केवल घर छोड़ रहे थे, बल्कि सुनील से चुपके-चुपके उनके साथ सारा सामान भी ले गए थे। घर की अलमारी से गहने, पैसे, और यहाँ तक कि गैस सिलेंडर तक – सब कुछ। यह किसी फिल्मी कहानी से भी ज्यादा अजीब था। मोहब्बत की आड़ में उन्होंने रिश्तों को ऐसी हदों तक खींच लिया, जिसे कोई सामान्य इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता था।
सुनील की चुप्पी अब एक विस्फोटक रहस्य बन गई थी। वह जब भी घर लौटता, उसकी आँखों में एक सवाल था – “क्या मेरी पत्नी वास्तव में इस तरह की किसी मोहब्बत में उलझ चुकी है?”
अपराध की गूँज और परिवार की तन्हाई
जब सुनील को पत्नी के फरार होने की खबर मिली, तो उसके मन में गुस्से और निराशा का तूफ़ान था। चार बच्चों के पिता और एक परिवार का सिर, अब अकेला हो चुका था। पुलिस को सूचना दी, लेकिन जवाब वही पुराना था – “पुलिस कार्रवाई करेगी, लेकिन जब तक कोई पुख्ता सबूत नहीं है, तब तक…”
सुनील की आँखों में सिर्फ आक्रोश था, क्योंकि यह केवल एक पत्नी का फरार होना नहीं था, यह उसकी पूरी ज़िंदगी का हश्र था। उसकी मेहनत, उसकी इज्जत, और सबसे बढ़कर, उसके रिश्तों का अपमान। लेकिन सबसे दर्दनाक बात यह थी कि शैलेंद्र, जो पहले उसके परिवार का हिस्सा था, अब उसके सामने एक दुश्मन बनकर खड़ा था।
बच्चों ने भी अब अपने घर के उजाड़ होने का दृश्य देखा। उनका प्यार, उनका घर, सब कुछ लुट चुका था। और यही वह बिंदु था जब सुनील ने अपने दिल की आवाज़ को सुनते हुए एक नया रास्ता अपनाया। क्या वह अपनी पत्नी और समधी को ढूँढ़ पाएगा? क्या वह अपने टूटे हुए परिवार को एक बार फिर जोड़ पाएगा? यह एक सवाल था जो अब केवल भविष्य ही हल कर सकता था।
मोहब्बत का खेल और अंत की ओर बढ़ते कदम
अब यह एक कहानी नहीं रही। यह एक गहरी थ्रिलर बन चुकी थी। एक ऐसा इश्क़, जो न केवल दिलों को जोड़ता था, बल्कि समाज की किवाड़ों को भी तोड़ता था। शैलेंद्र और पत्नी का फरार होना अब केवल एक मामूली घटना नहीं थी, बल्कि यह एक रैखिक कहानी बन चुकी थी, जो हर दिल में सवाल छोड़ चुकी थी।
इस रहस्यमयी लव स्टोरी का अंत अब अनिश्चित था, लेकिन जो कुछ भी होने वाला था, वह अब सबके सामने था – मोहब्बत या अपराध?
अंतिम लाइन
“इश्क़ ने कब किसी का दिल छोड़ा है? जब ये रिश्तों की दीवारों को तोड़ता है, तब वही इश्क़ अपराध की चुप्पियों में गुम हो जाता है।”
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