उदयपुर/नई दिल्ली। जब देश की अर्थव्यवस्था की बात होती है, तो अक्सर हम सरकारी नीतियों, वैश्विक बाजारों, और नीति आयोग जैसे संस्थानों की ओर देखते हैं। लेकिन भारत के विकास की असल नींव वे कंपनियां हैं, जो न केवल उद्योग में उत्कृष्टता हासिल करती हैं, बल्कि सरकार के राजस्व ढांचे में भी रीढ़ का काम करती हैं। हिन्दुस्तान ज़िंक लिमिटेड (HZL) ऐसी ही एक कंपनी है, जिसने बीते 5 वर्षों में ₹87,616 करोड़ का योगदान देश के खजाने में देकर न केवल आर्थिक समर्पण का उदाहरण पेश किया, बल्कि टैक्स पारदर्शिता के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छुआ।
1. भारत के खजाने में मजबूत भागीदारी
वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹18,963 करोड़ के योगदान के साथ हिन्दुस्तान ज़िंक ने अपनी टैक्स ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में यह सिद्ध किया कि कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व केवल CSR परियोजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कर व्यवस्था में ईमानदारी और पारदर्शिता से भी जुड़ा है।
यह राशि कंपनी के कुल राजस्व का 56% है — यानी हर दो कमाए गए रुपये में से एक से अधिक सरकार की ओर गया है।
वर्ष दर वर्ष 44% की वृद्धि यह दर्शाती है कि न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत हो रही है, बल्कि इसका लाभ सरकार और आम जनता को भी मिल रहा है।
2. राजस्थान से आत्मनिर्भर भारत तक: स्थानीय से राष्ट्रीय योगदान
हिन्दुस्तान ज़िंक का मुख्य संचालन राजस्थान में है, और वहाँ उसने हर वर्ष औसतन ₹3,600 करोड़ का योगदान राज्य सरकार को रॉयल्टी, DMF, और अन्य वैधानिक शुल्कों के रूप में दिया है। यह राज्य के विकास—विशेषकर खनन क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राजस्थान जैसे राज्य के लिए यह योगदान केवल राजस्व नहीं है, बल्कि साझेदारी है — उद्योग और सरकार के बीच।
DMF और NMET जैसे राष्ट्रीय खनिज कोषों में भी यह योगदान सामाजिक उत्थान की दिशा में उपयोगी है।
3. ऑपरेशनल एक्सीलेंस का असर आर्थिक ढांचे पर
कंपनी ने FY25 में ऐतिहासिक स्तर पर 1,095 किलो टन अयस्क और 1,052 किलो टन रिफाइंड धातु का उत्पादन किया। इस उत्पादन वृद्धि के पीछे जो बात विशेष ध्यान देने योग्य है वह यह कि कंपनी ने जिंक उत्पादन की लागत को $1,052/MT तक घटा दिया — जो पिछले 4 वर्षों का न्यूनतम स्तर है।
इसका सीधा आर्थिक प्रभाव यह है:
भारत की खनन उत्पादकता और लागत दक्षता वैश्विक मानकों की ओर अग्रसर हो रही है।
कम लागत, उच्च उत्पादन और बेहतर मुनाफे का लाभ करों और लाभांश के रूप में सरकार व निवेशकों को मिलता है।
4. कॉर्पोरेट गवर्नेंस और ट्रांसपेरेंसी की मिसाल
हिन्दुस्तान ज़िंक ने अपनी 8वीं टैक्स ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि पारदर्शिता केवल एक शब्द नहीं बल्कि कॉर्पोरेट फिलॉसफी है। इसकी पुष्टि एक बिग-4 ऑडिट फर्म द्वारा किए गए स्वतंत्र ऑडिट से होती है, जिसने रिपोर्ट की सटीकता और विश्वसनीयता को प्रमाणित किया है।
5. हरित, जिम्मेदार और सतत खनन की दिशा में अग्रणी
आज जब ESG (Environment, Social, Governance) वैश्विक निवेश मानकों का हिस्सा बन चुका है, हिन्दुस्तान ज़िंक को लगातार दूसरे वर्ष S&P ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट में विश्व की सबसे सस्टेनेबल मेटल व माइनिंग कंपनी का दर्जा मिलना, भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र की साख को वैश्विक मानचित्र पर और भी मज़बूत करता है।
6. राष्ट्र निर्माण में कॉर्पोरेट सहभागिता का मॉडल
विकासशील देशों में टैक्स चोरी, कर अदायगी में अनियमितता और पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे अक्सर सामने आते हैं। ऐसे में हिन्दुस्तान ज़िंक जैसी कंपनियां यह साबित करती हैं कि कॉर्पोरेट ईमानदारी और राष्ट्रीय समर्पण न केवल संभव है, बल्कि लाभदायक भी।
यह रिपोर्ट उन सभी उद्योगों और कंपनियों के लिए एक मॉडल है जो “ease of doing business” के साथ “responsibility of doing business” को भी समझना चाहते हैं।
हिन्दुस्तान ज़िंक लिमिटेड केवल एक मेटल व माइनिंग कंपनी नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक रीढ़ का मजबूत स्तंभ बन चुकी है। 87,616 करोड़ रुपये का कर योगदान, लगातार बेहतर ऑपरेशनल परफॉर्मेंस, ESG में वैश्विक मान्यता, और पारदर्शिता की मिसाल — ये सभी मिलकर भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता, न्यायसंगत विकास और टिकाऊ औद्योगिक संस्कृति की ओर संकेत करते हैं।
हिन्दुस्तान ज़िंक भारत की टैक्स अर्थव्यवस्था की “मूक लेकिन मजबूत” नायिका है।
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