
उदयपुर – चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के उपलक्ष्य में, भारत सरकार ने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है। खास बात यह है कि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया है।

इस महत्वपूर्ण अवसर को मनाने के लिए, डॉ. विक्रम साराभाई की 105वीं जयंती के उपलक्ष्य में, उदयपुर सौर वेधशाला (यूएसओ) और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) ने संयुक्त रूप से 12 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का आयोजन किया। यह आयोजन टेलीम लोडल ब्रॉड कास्टिंग के माध्यम से लाइव प्रसारित किया गया, जिससे देशभर के लोग इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्सा बन सके।
कार्यक्रम के दौरान, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने अपने अनुसंधान और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उदयपुर सौर वेधशाला में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न सौर गतिविधियों का अध्ययन और अवलोकन किया गया। वेधशाला में उच्च स्तरीय अवलोकन सुविधाओं के साथ-साथ अन्य दूरस्थ वेधशालाओं को भी प्रदर्शित किया गया, जिनमें मल्टी एप्लिकेशन सोलर टेलिस्कोप (एमएएसटी), स्पेयर टेलिस्कोप और अन्य अवलोकन सुविधाएं शामिल थीं।

इस अवसर पर पीआरएल के निदेशक प्रो. अनिल भारद्वाज ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर चर्चा करते हुए इसरो की अन्य उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों और अनुसंधान के अवसरों के बारे में जानकारी दी।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना और उन्हें भारत की अंतरिक्ष यात्रा के सफर में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना था। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के इस आयोजन ने वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर किया।
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