
जयपुर। राजस्थान पुलिस की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। 2019 में भिवाड़ी जिले के बहरोड़ थाना पुलिस पर हुए सशस्त्र हमले के बाद फरार चल रहे कुख्यात गैंगस्टर राजवीर गुर्जर उर्फ लारा को गिरफ्तार कर लिया गया है। राजवीर पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था और वह करीब 6 साल से पुलिस की पकड़ से दूर था।
बहरोड़ थाने पर हुआ था हमला
5-6 सितम्बर 2019 की रात को बहरोड़ थाने पर हुए उस हमले ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया था। उस रात राजवीर उर्फ लारा के नेतृत्व में 30 से ज्यादा अपराधियों ने एके-47 और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर थाने पर हमला किया। इन अपराधियों का मकसद था कुख्यात गैंगस्टर विक्रम गुर्जर उर्फ पपला को, जो उस समय थाने की हवालात में बंद था, छुड़ाकर ले जाना। यह हमला इतनी क्रूरता और शौर्य के साथ किया गया कि पुलिस पर जानलेवा फायरिंग के साथ पपला को छुड़ाकर भागना संभव हो पाया।

फरार राजवीर की 6 साल की फरारी
पपला की इस घातक छूट की साजिश में शामिल राजवीर गुर्जर तब से फरार था। वह अपने घर खैरोली, महेंद्रगढ़, हरियाणा का रहने वाला था। नाम था तो राजवीर, पर गांव में बचपन से ही क्रिकेट के शौक के चलते उसे ‘लारा’ के नाम से जाना जाता था। मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने वाला यह गैंगस्टर अपनी पहचान छुपाने में माहिर था।
राजवीर ने लगभग 18 से 20 राज्यों में फरारी काटी। कभी दक्षिण भारत के अखाड़ों में छुपा, तो कभी बस और ट्रेन में अलग-अलग नामों से यात्रा करता रहा। उसने परिवार और दोस्तों से भी सम्पर्क पूरी तरह तोड़ रखा था ताकि पुलिस उसकी गिरफ्तारी न कर सके।
ऑपरेशन ‘लारा’ और गिरफ्तारी
एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने ‘ऑपरेशन लारा’ नाम से एक विशेष अभियान चलाया। उप महानिरीक्षक पुलिस योगेश यादव के समन्वय और एजीटीएफ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा की देखरेख में विशेष टीम गठित की गई। टीम ने मुखबीर तंत्र को मजबूत कर, भिवाड़ी के आसपास की जमीन पर गहन छानबीन की।
आखिरकार, रेवाड़ी हरियाणा में राजवीर को दबोच लिया गया। तलाशी के दौरान उसके कब्जे से एके-56 राइफल, डबल मैग्जीन और सात जिंदा कारतूस बरामद हुए। कांस्टेबल सुधीर कुमार को इस कार्य में विशेष भूमिका निभाने का श्रेय दिया गया।
राजवीर के खिलाफ दर्ज हैं कई आपराधिक मामले
राजवीर गुर्जर के खिलाफ महेन्द्रगढ़ हरियाणा में हत्या और मारपीट जैसे गंभीर अपराधों के मामले पहले से दर्ज हैं। वह हत्या के एक मामले में जमानत पर था और इस बीच ही पुलिस की पकड़ से भाग रहा था।
एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का संदेश
एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन ने बताया कि इस गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि पुलिस अपराधियों को कहीं भी छुपने नहीं देगी। पुलिस की मेहनत और समर्पण से लंबे समय से फरार चल रहे अपराधियों को भी आखिरकार पकड़ना संभव होता है।
यह घटना दर्शाती है कि चाहे अपराधी कितनी भी चालाकी से छुप जाए, कानून की पकड़ से कोई बाहर नहीं रह सकता। ‘ऑपरेशन लारा’ ने अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक अहम जीत हासिल की है।
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