
गोगुंदा, उदयपुर। सर्द रात के सन्नाटे को चीरते हुए पुलिस की गाड़ियां तेज रफ्तार से गोगुंदा की ओर बढ़ रही थीं। मुखबिर की सूचना ने पुलिस के कान खड़े कर दिए थे। यह सूचना थी दो फार्महाउसों पर चल रही रेव पार्टी की, जहां कानून और नैतिकता की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं।
पहला अध्याय : रेव पार्टी का पर्दाफाश
शनिवार रात 1 बजे। पुलिस ने पहला छापा माताजी का खेड़ा स्थित पियाकल प्रियांक पीपी फार्म हाउस पर मारा। तेज म्यूजिक की आवाज़ बाहर तक गूंज रही थी। अंदर का नज़ारा चौंकाने वाला था। अश्लील कपड़ों में युवतियां नृत्य कर रही थीं, जबकि युवक उन पर नोट बरसा रहे थे। फर्श पर शराब और ड्रग्स की गंध तैर रही थी।
दूसरा छापा द स्काई साइन हॉलिडे होम फार्म हाउस पर तड़के 3:30 बजे मारा गया। यहां भी दृश्य पहले फार्महाउस से अलग नहीं था। यहां तक कि पार्टी में शामिल होने के लिए 10,000 रुपये की एंट्री फीस रखी गई थी।
दूसरा अध्याय : गिरफ्तारियां और बरामदगी
पूरी कार्रवाई में पुलिस को 13 घंटे लग गए। दोनों फार्महाउसों से कुल 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 10 युवतियां और 18 युवक शामिल थे। इनमें अमेरिका के एक NRI युवक जिगर शाह को भी पकड़ा गया, जिसके पास से 4,000 अमेरिकी डॉलर (3.2 लाख रुपये) बरामद हुए।
गिरफ्तार किए गए लोगों में देश के अलग-अलग राज्यों से बुलाई गई युवतियां और आयोजनकर्ता शामिल थे। पुलिस ने गांजा, शराब और आपत्तिजनक सामान जब्त किया।
तीसरा अध्याय : एस्कॉर्ट सर्विस और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
रेव पार्टी में केवल स्थानीय लोग नहीं, बल्कि दूर-दूर से लोग शामिल हुए थे। द स्काई साइन हॉलिडे होम फार्म हाउस पर नेपाल की एक युवती सुषमा को भी गिरफ्तार किया गया। दिल्ली, असम, गुजरात और महाराष्ट्र से बुलाई गई युवतियां एस्कॉर्ट सर्विस के जरिए यहां पहुंची थीं।
पुलिस ने आयोजकों वीरेंद्र कुमार और अमित प्रधान के साथ ही लड़कियां उपलब्ध कराने वाले ऋतु और राहुल राठौड़ को भी हिरासत में लिया।
चौथा अध्याय : कानून का शिकंजा
गोगुंदा थाने में आरोपियों से पूछताछ जारी है। इन पार्टियों में शामिल लोग वेश्यावृत्ति और नशे के कारोबार में भी लिप्त पाए गए। पुलिस ने दोनों फार्महाउस के मालिकों और आयोजनकर्ताओं के खिलाफ अलग-अलग केस दर्ज किए हैं।
समाप्ति : सवाल जो जवाब मांगते हैं
रेव पार्टी के इस काले सच ने एक बार फिर समाज की हकीकत को उजागर किया है। नशे और अनैतिक गतिविधियों का बढ़ता चलन किस ओर इशारा करता है? क्या कानून के डर का असर खत्म हो गया है, या लालच और अराजकता ने सामाजिक मूल्यों को दबा दिया है?
इस केस ने पुलिस और प्रशासन को सतर्क कर दिया है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अपराध और अनैतिकता का यह खेल अब बड़े स्तर पर खेला जा रहा है। क्या यह हमारी सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है?
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