उदयपुर के महालक्ष्मी मंदिर में दिवाली का भव्य श्रृंगार : सोने-चांदी के विशेष वस्त्रों में सजी मां लक्ष्मी, भक्तों की आस्था का अद्भुत संगम

उदयपुर। यहां भट्टियानी चौहट्टा स्थित ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर में दिवाली के अवसर पर भक्ति और आस्था का ऐसा दृश्य देखने को मिला जो हृदय को अभिभूत कर देता है। प्रातः 4 बजे से ही मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। मां महालक्ष्मी को विशेष रूप से 5 लाख रुपए के सोने-चांदी के वर्क के वस्त्र धारण कराए गए, जिसमें सोने की वर्क से सजी चुनरी, लहंगा और पिछवाई शामिल थी। हर ओर फूलों की महक, विद्युत सज्जा की झिलमिलाहट और भक्तों की श्रद्धा का दृश्य मंदिर में दिव्य वातावरण बना रहा था।

मंदिर के मुख्य प्रांगण में हजारों दीपों की मद्धम रोशनी के बीच मां महालक्ष्मी का ये भव्य श्रृंगार श्रद्धालुओं के हृदय को आत्मीयता और भक्ति से भर देने वाला था। भक्त इस शृंगार को देखकर आत्मविभोर हो गए और माता की आराधना में लीन हो गए। इस पावन अवसर पर पूरे शहर से ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग महालक्ष्मी के दर्शन करने पहुंचे।

महालक्ष्मी पूजा का पौराणिक महत्व

ट्रस्टी जतिन श्रीमाली ने बताया कि महालक्ष्मी की पूजा का अर्थ है जीवन में सकारात्मकता, सौभाग्य और समृद्धि का स्वागत करना। यह पर्व न केवल दीपों का है, बल्कि यह आत्मा को प्रकाशित करने का प्रतीक भी है। इस पूजा में ‘श्री सूक्तम्’ का पाठ प्रमुख है, जिसे श्रद्धालु अत्यंत भक्ति भाव से गाते हैं। इस पाठ में मां लक्ष्मी से ऐश्वर्य, सौंदर्य, और धन की कामना की जाती है।

श्री सूक्तम् से एक प्रसिद्ध श्लोक :

“ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥”

अर्थ : “हे अग्निदेव, मुझे वह लक्ष्मी प्रदान करें जो स्वर्ण के समान आभा वाली हैं, जो रजत (चांदी) और स्वर्ण के आभूषणों से अलंकृत हैं और जिनका मुख चंद्रमा के समान शीतल और मनोहारी है।”

इस श्लोक का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसे गाने से मन और हृदय में लक्ष्मी का आह्वान होता है। मान्यता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का आगमन होता है। भक्त इसे बड़े श्रद्धा और भाव से गाते हैं, और दिवाली के इस पर्व पर महालक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद पाने की कामना करते हैं।

भव्य आयोजन और विशेष प्रबंधन

श्रीमाली जाति संपत्ति व्यवस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष भगवतीलाल दशोत्तर ने बताया कि मंदिर में दर्शन और आरती के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। दर्शनार्थियों के लिए अलग-अलग कतारें बनाई गई हैं और भीड़ प्रबंधन के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। एक नवंबर को अन्नकूट महोत्सव की आरती का आयोजन शाम 5 बजे होगा, जिसमें अन्नकूट के दर्शन और भोग का प्रबंध किया जाएगा।

दिवाली के इस शुभ अवसर पर महालक्ष्मी मंदिर की यह विशेष आराधना उदयपुर शहर में भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव प्रस्तुत कर रही है, जो केवल आस्था ही नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी की कृपा का अद्भुत आह्वान है।

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