
स्थान : उदयपुर का गोगुंदा इलाका।
घटना : दो नाबालिग चचेरी बहनों का संदिग्ध सुसाइड।
पर्दे के पीछे : ब्रेनवॉश, ब्लैकमेल और सोशल मीडिया पर छुपा खेल।
एक शाम, जो काल बनकर आई
10 नवंबर की शाम जसवंतगढ़ ग्राम पंचायत के गहलोतों का गुड़ा गांव में सन्नाटा छा गया। 16 और 17 साल की दो चचेरी बहनें अचानक घर से लापता हो गईं। अगले दिन, दोनों का शव घर से महज 500 मीटर दूर एक खेत में मिला। उनके शरीर ने जहर निगलने की गवाही दी, और उनकी एक जैसी ड्रेस ने इस दुखद कहानी को और रहस्यमयी बना दिया।
स्कूल बैग से मिला रहस्य का ताला
जांच के दौरान पुलिस को लड़कियों के स्कूल बैग में मिली कॉपी ने सारे मामले को नया मोड़ दे दिया। कॉपी में कुरान की आयतें, कलमा और हिंदी-उर्दू में लिखे वाक्य पाए गए। यह साफ था कि दोनों बहनें इन आयतों को सीखने की कोशिश कर रही थीं। चौंकाने वाली बात यह थी कि सोशल मीडिया पर दोनों ने अपना नाम बदलकर “मुस्कान” और “अनीसा” रख लिया था।
3,000 कॉल्स : एक मानसिक जाल का खुलासा
पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) खंगाले तो पता चला कि लड़कियों और आरोपी शहवाज के बीच करीब 3,000 बार बातचीत हुई थी। आरोपी ने इंस्टाग्राम के जरिए दोनों से दोस्ती की थी और धीरे-धीरे उन्हें अपनी चाल में फंसा लिया। यह सामान्य दोस्ती नहीं थी। वह बार-बार लड़कियों पर दबाव डालता कि वे उससे बात करें और पैसे भेजें। यहां तक कि वह ऑनलाइन करीब ₹12,000 ऐंठ चुका था।
दोहरी पहचान और ब्रेनवॉश

लड़कियों के परिजनों ने उनके मोबाइल और किताबों को पुलिस के हवाले कर दिया। इनमें मिली जानकारी से यह भी सामने आया कि आरोपी ने दोनों बहनों का पूरी तरह से ब्रेनवॉश किया था। सोशल मीडिया के जरिए उसने उनकी धार्मिक और मानसिक स्थिति को बदलने का प्रयास किया, और जबरन मिलने का दबाव डालता था।
हापुड़ से पकड़ा गया आरोपी
पुलिस की टीम ने इस मामले में 19 वर्षीय आरोपी शहवाज को उत्तर प्रदेश के हापुड़ से गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी मामले की गंभीरता को दर्शाती है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या यह मामला सिर्फ ब्लैकमेल और सुसाइड का है, या इसके पीछे कोई और गहरी साजिश छुपी है।
परिवार का दर्द और सवाल
परिवार और उनके वकील कमलेश शर्मा ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि यह केवल ब्लैकमेल का मामला नहीं है। लड़कियों के ब्रेनवॉश और धार्मिक बदलाव के पीछे बड़ी साजिश हो सकती है।
आखिरी सवाल
दो मासूम बहनों की मौत, एक आरोपी का खेल, और परिवार का अंतहीन दर्द—क्या यह समाज के खोखलेपन की कहानी नहीं है? क्या कानून और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाएंगे, या फिर ऐसी कहानियां बार-बार दोहराई जाएंगी?
“जिंदगी से हार का यह दर्दनाक अंत, न्याय की गूंज बनेगा या एक और अनसुनी दास्तान?”
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