
उदयपुर। नगर निगम उदयपुर में अगर आपको काम में थोड़ी राहत चाहिए, तो बस जुबान से नहीं, जेब से भी विनती करनी पड़ती है। और यही कीमत चुकानी पड़ी एक सफाईकर्मी को – वो भी “साफ” हाथों से नहीं, बल्कि नोटों से।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की स्पेशल यूनिट ने शुक्रवार को निगम के “सेवा भाव से लबालब” स्वास्थ्य प्रभारी कमलेश चनाल को 8,000 रुपये की सेवासिद्धि राशि लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। साथ ही जमादार अनिल, जो रिश्वत को प्रेरणा मानते हैं, उन्हें भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया।
हुआ यूं कि निगम का एक कर्मठ सफाईकर्मी जून 2024 में हादसे में घायल हो गया। उसने सोचा कि अब शायद कोई मानवता दिखाई जाएगी, लेकिन यहां निगम में ‘मूल्यवर्धित सेवाओं’ का जमाना चल रहा है। काम में रियायत चाहिए? तो “कमलेश बाबू” से मिलिए, जो सुविधाएं नहीं, पैकेज देते हैं – 10 हजार रुपये प्रतिमाह में आरामदायक ड्यूटी, दो महीनों के लिए कुल सिर्फ 20 हज़ार!
परिवादी बेचारा परेशान, एसीबी सजग। फिर क्या था, एक शानदार ट्रैप रचा गया। कमलेश चनाल – जो नगर निगम में स्वास्थ्य के नाम पर जेब की सेहत सुधार रहे थे – जैसे ही रिश्वत की गुलाबी पुड़िया थामे, वैसे ही एसीबी वालों ने उन्हें ‘स्वस्थ’ तरीके से दबोच लिया।
और अनिल जमादार? उन्हें भी उठा लिया गया, क्योंकि उन्होंने प्रेरणादायी रिश्वत अभियान में भूमिका जो निभाई थी।
इस पूरे ‘ऑपरेशन सुविधा शुल्क’ की कमान संभाली एसीबी के एएसपी राजीव जोशी और निरीक्षक लक्ष्मण डांगी ने, DIG राजेन्द्र गोयल के सुपरविजन में। अब दोनों आरोपियों से पूछताछ चल रही है – शायद वो निगम की बाकी “मूल्यवर्धित सेवाओं” की भी सूची दे दें।
कहते हैं ना – सरकारी सेवा में काम करवाना है, तो फॉर्म नहीं, फार्मूला चाहिए – और वो फार्मूला होता है ‘कैश’।
लेकिन शुक्र है एसीबी का, जो अब इन फार्मूलों को ‘फाड़’ रही है।
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