प्रेम को बचाना है तो प्रकृति को बचाना जरूरी होगा, आदिवासी है प्रकृति के मूलवासी

राजस्थान साहित्य अकादमी सभागार में आदिवासी कवि और कविता विषयक हुई संगोष्ठी
विश्व आदिवासी दिवस पर हुआ आयोजन


उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अकादमी सभागार में आदिवासी कवि और कविता विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
स्वागत उद्बोधन देते हुए अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. सुनीता घोगरा ने कहा कि आदिवासी का प्रकृति के अटूट रिश्ता होता है। आदिवासी समाज शिक्षित और संस्कारी होता है। मिश्रीलाल मीणा एकलव्य ने कविता उबड़-खाबड़, दूध बताकर सोने का, गोल पीला देती है मां तथा बंडी और वोट कविता का वाचन किया। युवा कवि मनराज मीणा ने जल, जंगल और जमीन तथा प्रकृति और प्रेम शीर्षक कविता पाठ किया। युवा कवि प्रभुलाल गरासिया ने हम ही मूलवासी, हमारा सौभाग्य है कि हम है मूलवासी आदिवासी कविता पाठक कर श्रोताओं का मंत्र मुग्ध किया। उन्होंने कलम चले जब कालीबाई की वीरता, कन्याभ्रूर्ण हत्या पर- मन में है जो अरमान मेरे मॉं मुझे जन्म लेने दो तथा गरासिया लोकगीत फागण आयो रो मईनो का वाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।


इस अवसर डूंगरपुर से आई कवियित्री डॉ. रेखा खराड़ी ने पहाड़ो की ताजा हवा, नदी का मीठा जल, आसमां जब बरसता है तो टापरा रोता है तथा स्लेट के ऊपर ज लिखा का वाचन किया तथा प्रसिद्ध लोक गीत ‘मउडा‘ सुना कर सभागार को सराबोर किया। इस अवसर पर युवा कवि मनीष मीणा ने जनसुनवाई तथा पत्थलगढ़ी कविता सुना कर लोकतंत्र पर व्यग्य बाणों से प्रहार किया।
कार्यक्रम के संयोजक तथाा अकादमी संचालिका सभा के सदस्य डॉ. थावर चंद डामोर ने अपनी मां को याद करते हुए उनके साथ बिताए बचपन के संस्मरण पर कविता पाठ किया।


इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारा सपना प्रांत के भील, गरासिया, मीणा जैसे वर्ग के युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना रहा है। आज मुझे यह देख कर अत्यन्त ही प्रसन्नता है कि मेरे प्रांत के आदिवासी वर्ग के युवा साहित्यकारों को आज समाज सुन रहा है, कल प्रांत और देश सुनेगा।


काव्य गोष्ठी का संचालन अकादमी सरस्वती सभा सदस्य डॉ. हेमेंद्र चंडालिया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. थावरचंद डामोर ने दिया।

इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. ज्योतिपुंज, श्रीनिवासन अय्यर, हुसैनी बोहरा, इकबाल हुसैन, बलवीर सिंह भटनागर, रीना मेनारिया, जगदीश पालीवाल, खुर्शीद शेख, गोविंद गौड़, श्रेणीदान चारण, रेनू सिरोया, स्वाति सकुन, चंद्ररेखा शर्मा, हार्दिक हिंदुस्तानी, दिव्या सालवी, रेखा डागी, लोकेश चोबीसा, अमित व्यास, मनमोहन मधुकर, जहीर आतिश, प्रमिला सिंघवी, डॉ. प्रकाश नेभनानी, जयप्रकाश भटनागर, दिनेश अरोड़ा, राजेश मेहता आदि की सार्थक उपस्थिति रही।

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