
जी हां…यह उदयपुर का वही जगदीश चौक है, जहां हर त्योहार नज़ाकत और नफासत से सराबोर रहता है। यही वो मुक़ाम है, जहां जश्न सिर्फ मनाया नहीं जाता, बल्कि तहज़ीब के लिबास में लिपटा हुआ पेश किया जाता है। और जब बात होली की हो, तो ये चौक किसी रंगमहल से कम नहीं लगता।
आज इस ऐतिहासिक चौक में होली का समां कुछ ऐसा है कि मानो शहज़ादों की महफिल सजी हो। रंगों की बौछारें, गुलाल की हवाएं और झूमते-थिरकते अज़ीज़ाने शहर… हर कोई इस रंगीन माहौल का लुत्फ़ उठा रहा है। हवा में उड़ते अबीर-गुलाल ने पूरे चौक को इक बेपनाह हुस्न बख़्श दिया है।
रात को हुए होलिका दहन में भी नज़ारा कुछ कम नहीं था। चंग की थाप, फाल्गुन के गीत और ढोल की गूंज ने मानो समां बांध दिया। शहर के सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने भी होली की रंगीन शाम को अपने ढोल की थाप पर सजाया, और उनके चाहने वालों ने उन्हें रंग-गुलाल से सराबोर कर दिया।
उदयपुर की होली सिर्फ एक जश्न नहीं, बल्कि एक रवायत है, जिसमें महलों की शान भी शामिल होती है और गलियों की रौनक भी। खेरवाड़ा कस्बे और आसपास के इलाकों में भी धुलंडी की धूम मची रही। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस त्योहार की मस्ती में झूमता नज़र आया। ढोल, ताशे और रंगों की फुहारें हर चेहरे को मुस्कुराहट से रंग रही थीं।
शहर में रंगों की यह बरसात ऐसे ही चलती रहे और मोहब्बत के गुलाल से हर दिल महकता रहे… यही दुआ है!
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