अभी मैं हारा नहीं हूं…मांगीलाल जोशी-गुरुजी

फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। राजनीति का यह ध्रुवतारा, जिसे शहर मांगीलाल जोशी या गुरुजी के नाम से जानता है, एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के उदयपुर आगमन के दौरान, जहां उन्होंने पूर्व राजघराने के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं एक अन्य नाम जो बार-बार चर्चा में आया, वह था गुरुजी का, जिनके साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने काफी देर अकेले में सियासत पर चर्चा की। मेवाड़ के फीडबैक से लेकर विधायकों की परफोर्मेंस तक पर चर्चा हुई।

गुरुजी का राजनीतिक जीवन किसी धीरज और जिजीविषा की मिसाल से कम नहीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव और भाजपा में उनकी गहरी पैठ ने उन्हें सियासत के हर शिखर और गर्त का गवाह बनाया। गुलाबचंद कटारिया के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता राजनीति के हर मोड़ पर चर्चा का विषय बनी रही। लेकिन, यह प्रतिद्वंद्विता केवल पद की दौड़ नहीं, बल्कि विचारधारा और जनसेवा का संघर्ष रही।

कटारिया जहां अपनी सक्रियता से राजनीति में छाए हुए हैं, वहीं गुरुजी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर जनता से सीधा संवाद कायम किया है। शादी समारोह हो, त्योहार हो, या किसी परिवार का दुखद समय—गुरुजी की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि वे न केवल राजनीति में बल्कि लोगों के दिलों में भी जगह बना चुके हैं।

गुरुजी का नया अंदाज
गुरुजी अब केवल सियासत के खिलाड़ी नहीं रहे, बल्कि लोगों के सुख-दुख के साथी बन गए हैं। उनकी सादगी, गर्मजोशी और मदद का अंदाज उन्हें राजनीति के पार जाकर एक ऐसा व्यक्तित्व बना देता है, जो हर परिस्थिति में मजबूती से खड़ा रहता है। यही कारण है कि जब लोग हार मानकर पीछे हट जाते हैं, गुरुजी अपने अंदाज में नई शुरुआत की तरफ बढ़ते हैं।

राजनीतिक संघर्ष की गूंज
गुरुजी के लिए हर कठिनाई एक सबक रही है। उनका जीवन उन संघर्षों की गाथा है, जहां पत्थर और तूफान सिर्फ उनकी हिम्मत को परखने के लिए आते हैं। उनकी ज़िंदगी का दर्शन उनकी इन पंक्तियों में झलकता है:

हर चोट ने मुझे और मज़बूत किया,
हर गिरावट ने मुझे उड़ान की नई दिशा दी।
चाहे कितनी भी मुश्किलें आईं,
मैंने अपनी उम्मीदों के दिए को बुझने नहीं दिया।*

भावनात्मक और राजनीतिक महत्व
गुरुजी का यह सफर सिर्फ उनके व्यक्तित्व की कहानी नहीं है, बल्कि हर उस इंसान की प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्षरत है। राजनीति में उनकी सक्रियता यह दर्शाती है कि उम्र या बाधाएं कभी भी जुनून और सेवा की भावना पर हावी नहीं हो सकतीं।

गुरुजी का संदेश
उनकी कहानी यह सिखाती है कि सियासत केवल चुनाव जीतने का खेल नहीं, बल्कि लोगों का दिल जीतने का रास्ता है। उदयपुर की जनता के लिए वे एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हार न मानने की अपनी जिद और संघर्ष से हर मुश्किल को अपनी ताकत में बदल दिया।

गुरुजी के सफर को देखते हुए, एक बात तो तय है—राजनीति में आज भी ऐसे लोग हैं, जो अपने आदर्शों और संकल्प के लिए जीते हैं। मांगीलाल जोशी इस बात के सबसे बड़े प्रतीक हैं कि “अभी मैं हारा नहीं हूं” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है।

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