अरावली की पहाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जिम्मेदारों के लिए चुनौती, सिर्फ पर्यावरण समिति में निर्णय से सुरक्षा संभव नहीं, उठाने होंगे कड़े कदम

उदयपुर। पहाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के जिला पर्यावरण समिति के निर्णय का पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। रविवार को आयोजित झील व पहाड़ संरक्षण विषयक बैठक में डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने संशोधित पहाड़ी संरक्षण नीति स्वीकृत हो लागू होने तक पहाड़ियों के भू रूपांतरण व उन पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाई हुई है। यूडीए अध्यक्ष व संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर व समस्त उपखंड अधिकारियों, तहसीलदारों को इसकी कठोरता से अनुपालना सुनिश्चित करवानी चाहिए।

झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पहाडियां नदी-नालों व तालाबों ,झीलों की प्रमुख जल उदगम क्षेत्र है। इनके कटने से झीलों के जीवन पर भी गंभीर संकट खड़ा हो रहा है। यह राजस्व नियमों के भी विपरीत है।

सामाजिक कार्यकर्ता नंदकिशोर शर्मा ने आश्चर्य जताया कि समाचार पत्रों में पहाड़ कटने , उन पर निर्माणो संबंधी खबरों, फ़ोटो के छपने के बावजूद अभी तक जिम्मेदार निर्माणकर्ताओं तथा निगरानी में चूक करने वाले सरकारी कार्मिकों पर कोई कार्यवाही नही हुई है।

कुशल रावल ने कहा कि पहाड़ियों के कटने से सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत प्रभाव हो रहा है। उदयपुर को इसके घातक परिणाम झेलने पड़ेंगे।

शोधार्थी कृतिका सिंह ने कहा कि पहाड़ियों को काटना आपदाओं को निमंत्रण देना है।

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह , रमेश चंद्र राजपूत ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि पहाड़ियों को बचाने के लिए वे साथ मिलकर आवाज उठाएँ व प्रशासनिक तंत्र को सजग करे।

बैठक से पूर्व स्वच्छता श्रमदान किया गया ।

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