
नई दिल्ली। एक ऐसी सुबह, जब भारतीय सेना ने अपनी ताकत और रणनीति से दुश्मन को करारा जवाब दिया, वहां पर एक नया चेहरा सामने आया, जो न केवल साहस का प्रतीक था बल्कि यह भी साबित करता था कि आज की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। यह कहानी है भारतीय सेना की दो महिला अधिकारियों की, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की गाथा मीडिया के सामने रखी और देश को यह संदेश दिया कि नारी शक्ति केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि सैन्य रणनीति और संचार में भी बराबरी से आगे बढ़ रही है।
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी – भारतीय सेना की पहली पंक्ति की कमांडर
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी का नाम सुनते ही, उनकी वीरता और संघर्ष की गाथाएं लोगों के जेहन में ताज़ा हो उठती हैं। एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सोफ़िया ने 17 वर्ष की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन से सेना में प्रवेश किया था। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सेना की सिग्नल कोर से जुड़े अपने कार्यों में हमेशा सर्वोत्तम किया। 2016 में, जब उन्होंने पुणे में आयोजित ‘फोर्स 18’ बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में 40 सदस्यीय भारतीय दल का नेतृत्व किया, तो उन्होंने एक नया इतिहास रच डाला। वह ऐसी पहली भारतीय महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने इस सम्मान का अनुभव किया।
सोफ़िया ने बताया, “ऑपरेशन सिंदूर एक बड़ी चुनौती था, लेकिन यह हमारी तत्परता और समर्पण का परिणाम था।” जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देशों के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया। यह सेना की शानदार रणनीति थी, जिसमें सोफ़िया क़ुरैशी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह – आसमान की वीरांगना
वहीं, भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी इस प्रेस वार्ता में मौजूद थीं, जिनका नाम ही आकाश से जुड़ी एक अद्भुत वीरता की कहानी बयां करता है। “व्योमिका” यानी आकाश से जुड़ी हुई, और यही उनका जीवन था। उन्होंने एनसीसी से अपनी यात्रा शुरू की और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वायुसेना के फ्लाइंग ब्रांच में परमानेंट कमीशन प्राप्त किया। उनके नाम 2500 घंटे से अधिक की उड़ान सेवा है, और उनके द्वारा किए गए कई मिशन, खासकर जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के दुर्गम क्षेत्रों में, सराहे गए हैं।
व्योमिका का कहना था, “हमारी भूमिका सिर्फ हवाई सुरक्षा तक सीमित नहीं है, हम सेना के साथ मिलकर दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में भी सहायक हैं।” उनकी वीरता का सबसे बड़ा उदाहरण नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में किया गया एक रेस्क्यू ऑपरेशन था, जिसमें उनकी बहादुरी को विशेष रूप से सराहा गया था।
नारी शक्ति की नई उड़ान
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इन दोनों महिला अधिकारियों की भूमिका ने यह साफ कर दिया कि भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी केवल बढ़ ही रही है। यह दोनों अधिकारी न केवल अपने-अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठ हैं, बल्कि इनकी कार्यशैली और समर्पण यह साबित करते हैं कि महिलाएं किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं।
रक्षा मंत्रालय ने भी इस प्रेस वार्ता को साझा करते हुए सोफ़िया क़ुरैशी की उपलब्धियों को सराहा और उनकी नेतृत्व क्षमता की जमकर तारीफ की। यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इन दोनों अधिकारियों की कहानियां हमें यह संदेश देती हैं कि भारतीय महिलाएं अब केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करतीं, बल्कि रणनीतिक निर्णयों में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
यह कहानी सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन की सफलता की नहीं है, बल्कि यह एक नए भारत की तस्वीर पेश करती है, जिसमें महिला अधिकारी सेना की अग्रिम पंक्तियों में खड़ी हैं, भारत की रक्षा के लिए पूरी शक्ति से कार्यरत हैं।
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