अहमदाबाद विमान हादसा : ज़िंदगी की वो उड़ान… जो कभी लौटकर न आ सकी

 

उदयपुर/जयपुर। 12 जून 2025—इस तारीख़ ने राजस्थान की मिट्टी से 12 सपनों को छीन लिया। सपने, जो लंदन के आसमान में उड़ान भरने निकले थे। उम्मीदें, जो परिवारों की आंखों में चमक बनकर झिलमिला रही थीं। लेकिन नियति ने सब कुछ एक ही पल में छीन लिया। अहमदाबाद से लंदन जा रहा विमान क्रैश हुआ… और इसके मलबे में दफन हो गईं कई कहानियाँ, कई रिश्ते, कई सांसें।

1. बांसवाड़ा की ख़ामोश हवेलियाँ और एक बुझा हुआ घराना

डॉ. कोनी व्यास… नाम ही काफी था बांसवाड़ा में। एक ममता से भरी डॉक्टर। उन्होंने सबकुछ समेटा और नए जीवन की शुरुआत करने लंदन जा रही थीं। बांसवाड़ा की रातीतलाई काॅलोनी निवासी डाॅ. जे.पी. जोशी के पुत्र प्रतीक, पुत्रवधू डाॅ. कौमी और तीन बच्चों मिराया, नकुल और प्रद्युत की मौत हुई है। डाॅ. प्रतीक उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल काॅलेज, उदयपुर में कार्यरत थे। डाॅ. प्रतीक लंदन में किसी चिकित्सकीय संस्थान से जुड़ने के कारण पूरे परिवार के साथ भारत से लंदन जा रहे थे, लेकिन विमान हादसे में दंपती सहित तीनों बच्चों की मौत हो गई। डाॅ. प्रतीक और डाॅ. कौमी के माता-पिता भी उदयपुर ही थे। वे सुरक्षित हैं और अभी अहमदाबाद में ही हैं।
जहाँ कल तक किलकारियाँ गूंजती थीं, वहाँ अब चुप्पी चीख रही है।
घर की दीवारों पर बच्चों की ड्रॉइंग टंगी हैं, पर अब उन दीवारों को कोई देखने वाला नहीं।
घर के आँगन में जो तुलसी चौरा था, वहां अब सिर्फ़ फूल चढ़े हैं, और चुपचाप बहता एक आँसू…

2. उदयपुर: एक पिता का अधूरा आशीर्वाद

संजीव मोदी, एक सफल मार्बल कारोबारी। बेटे शुभ और बेटी शगुन को लंदन घूमने भेज रहे थे।
एयरपोर्ट पर खुद छोड़ने आए, हँसी-ठिठोली की, आशीर्वाद दिया।
“बच्चों, अच्छे से घूमकर आना… फोन करते रहना…”
और वो ‘बाय’… आख़िरी ‘बाय’ बन गई।
अब वही पिता अपने बच्चों की अस्थियाँ लेकर आएगा…
उदयपुर के सहेली नगर में, जहाँ कल तक चाय की महक आती थी, वहाँ आज हर दरवाज़ा रो रहा है।
लोग आते हैं, गले लगते हैं, लेकिन क्या कोई पिता की उस खाली झोली को भर सकता है?

उदयपुर की पायल की भी मौत उदयपुर की पायल खटीक ( 22 ) पुत्री सुरेश खटीक की भी हादसे में जान गई। लंदन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए जा रही थी। पायल उदयपुर के गोगुंदा की रहने वाली थी, लेकिन अभी परिवार के साथ गुजरात के हिम्मत नगर में रहती थी।

 

3. बालोतरा: एक नई दुल्हन की विदाई, जो सदा के लिए थी

खुशबू राजपुरोहित… शादी को छह महीने हुए थे। पति लंदन में डॉक्टर हैं।
ससुराल जाने के लिए पहली बार विदेश रवाना हुई थी।
पिता मदन सिंह ने अहमदाबाद तक छोड़ा। एयरपोर्ट पर ली गई सेल्फी आज हर आंख नम कर रही है।
उस तस्वीर में एक बाप का गर्व है, एक बेटी की मुस्कान है…
कौन जानता था, यह मुस्कान अब तस्वीरों में ही रह जाएगी?
अब बालोतरा की गलियों में लोग वह तस्वीर देख-देख कर रो रहे हैं।
यह सिर्फ़ एक फोटो नहीं, एक पूरे जीवन का अंतिम क्षण है।

4. वल्लभनगर और रोहिड़ा : परदेशी मज़दूरों की आख़िरी छुट्टी

वरदीचंद और प्रकाश मेनारिया… दोनों लंदन में रसोइया का काम करते थे।
कई वर्षों से मेहनत करके परिवार पाल रहे थे।
20 जनवरी को आए थे गांव… बच्चों से मिले, माँ के पाँव छुए, पत्नी की पसंद का सामान ख़रीदा।
अब लौटने का समय आया था।
पर यह वापसी हमेशा के लिए हो गई।
उनकी बूढ़ी मां जो दरवाज़े पर खड़ी थी विदा करने… अब उनकी आँखें पथरा चुकी हैं।
बच्चे मां से पूछते हैं—”पापा कब आएंगे?”
कोई क्या जवाब दे? कैसे समझाए कि इस बार पापा ताबूत में लौट रहे हैं?

5. बीकानेर का सपना, जो अधूरा रह गया

अभिनव परिहार… श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक किशनाराम नाई के दोहिते।
लंदन में व्यापार कर रहे थे। दादा से कहा करते— “आप मेरे ऑफिस ज़रूर आना एक दिन।”
अब वो दादा बस उनकी राख देख पाएंगे।
एक युवा, जो अपने बूढ़े दादा के लिए सपने बुन रहा था… वो खुद एक अधूरी कहानी बन गया।
बीकानेर की हवाओं में एक सन्नाटा है— एक नेता के घर में कोई नारा नहीं, कोई उत्सव नहीं, बस मातम है।

यह हादसा नहीं, एक सामूहिक त्रासदी है…

एक ही विमान हादसे ने राजस्थान के 12 घरों को सूना कर दिया।
एकसाथ 12 अर्थियाँ, 12 चिताएँ, 12 ताबूत…
हर ताबूत के साथ टूटे सपने, बिखरी आशाएँ और अनगिनत सवाल।
किसी के सिर से माँ-बाप का साया छिन गया, किसी की मांग सूनी हो गई, किसी का बचपन अनाथ हो गया।

सरकारें आती हैं… सांत्वना देती हैं… पर वो खाली कुर्सियाँ कौन भरेगा?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुख जताया, अफ़सर पहुंचे, कंधा दिया…
पर वो माँ जिसे बेटे का फोन रोज़ आता था, उसे अब किस नंबर से बात होगी?
वो दादी, जो पोते के लिए स्वेटर बुन रही थी, अब उस ऊन से क्या करेगी?
वो बहन, जो राखी लेकर बैठी थी, अब किस कलाई पर बाँधेगी?

आख़िरी शब्द…

ये महज़ एक विमान हादसा नहीं था…
ये 12 ज़िंदगियों का अधूरा गीत था,
12 परिवारों की टूटती साँसों की कहानी थी।
कभी सोचा नहीं था कि लंदन की एक उड़ान,
इतनी भारी, इतनी अंतिम, इतनी जानलेवा होगी।

“ज़िंदगी जब उड़ान भरती है, कोई नहीं जानता वह कहाँ उतरेगी…
लेकिन जब वह लौटती ही नहीं — तो हर इंतज़ार, हर ख्वाब अधूरा रह जाता है…”

 

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