चिटफंड के मामले में चित्तौड़गढ़ की अदालत में सुनाया फैसला
उदयपुर। चिटफंड के चार साल पुराने मामले में चित्तौड़गढ़ की अदालत ने बुधवार को सुनाए महत्वपूर्ण फैसले में पीयर्स इंडिया लिमिटेड के निदेशक आलोक त्रिपाठी को सात साल की कैद तथा अस्सी हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अभियोजन सूत्रों के अनुसार पीयर्स इंडिया कारपोरेशन लिमिटेड के निदेशक आलोक त्रिपाठी के खिलाफ 2 अप्रैल 2019 को कंकूबाई ने अदालत में परिवाद पेश किया था। पीयर्स इंडिया कारपोरेशन रियल स्टेट के नाम से बिजनेस और स्कीम के जरिए परिचालन और इन्वेस्ट का काम करवाती है। जो लोगों से किस्तों में धनराशि का इन्वेस्ट करवाकर उनके जमा धन से जमीन खरीदना और ग्राहकों को किस्त लाभ पहुंचाने का कार्य था। इन्वेस्ट की मैच्योरिटी के रूप में जमीन और अन्य परिलाभ नगद राशि के साथ ग्राहकों को लौटाने का काम था। कंपनी की एक ब्रांच चित्तौड़गढ़ में थी, जिसका कार्यालय शहर के जगन्नाथ टावर में था।
इन्वेस्टमेंट मैच्योरिटी के बाद नहीं दिया लाभ
चित्तौड़गढ़ से भी कई लोगों ने कंपनी में इन्वेस्ट किया था। ग्राहकों को परिलाभ के रूप में मोटा फायदा कराने के नाम पर सुनहरे अपने दिखाए और पूंजी निवेश कराया गया। लेकिन मैच्योरिटी पर लाभ तो नहीं दिया और धोखाधड़ी कर जमा पूंजी पर लॉस करवाया। इस मामले में पीड़िता के परिवाद की सुनवाई गई की गई। मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक 1 चित्तौड़गढ़ के पीठासीन अधिकारी इंद्रसिंह मीणा ने कंपनी के निदेशक आलोक त्रिपाठी को दोषी पाया।
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